
जुदां ज छे; बंनेनुं अस्तित्व जुदुं ज छे. जीवना उत्पाद–व्यय–ध्रुव जीवमां छे, ने
पुद्गलना उत्पाद–व्यय–ध्रुव पुद्गलमां छे. बंनेनुं अस्तित्व जुदुं पोतपोताना
स्वरूपमां ज छे. एकना उत्पाद–व्यय–ध्रुव बीजानां कारणे नथी. आवुं वस्तुस्वरूप
जाणे तो परथी भिन्न पोतानी स्व–सत्ता सामे नजर करतां भेदज्ञान अने
वीतरागता थाय. तेनुं नाम धर्म छे.
समाय छे.
तो बीजो ते उत्पादमां शुं करे?
अवांतर सत्तारूपे) जोवामां आवे त्यारे दरेकनुं स्वरूप जुदुं जुदुं छे. जीवनुं अस्तित्व
सदा जीवरूप छे, अने पुद्गलनुं अस्तित्व सदा पुद्गलरूप छे. एम दरेक पदार्थ
पोतपोताना स्वरूप–अस्तित्वपणे सत् छे; ने बीजारूपे असत् छे.
छे, उत्पादरूप जे भाव छे ते पोते व्यय के ध्रुवरूप नथी, तेथी ते उत्पादने त्रिलक्षणपणुं
नथी, तेने तो एक उत्पादलक्षणपणुं ज छे. ए ज रीते व्ययनुं लक्षण व्यय छे, ने ध्रुवनुं
लक्षण ध्रुवता छे; आ रीते वस्तुना ऊपजता भावनुं, विणशता भावनुं अने टकता
भावनुं, दरेकनुं जुदुं जुदुं एक लक्षण छे; ने उत्पाद–व्यय–ध्रुवरूप आखी सत्वस्तुने
त्रिलक्षणपणुं छे.