Atmadharma magazine - Ank 314
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: १२ : : मागशर : २४९६
सामान्यपणे जे सत्ता सर्वपदार्थमां स्थित छे, ते ज सत्ताने अवांतरसत्ता तरीके
एक पदार्थमां स्थितपणुं छे; ‘बधुं छे’ एम बधुं सत् होवा छतां, तेमां जीवनी सत्ता
पोताना जीव स्वरूपमां ज छे, अजीवनी सत्ता अजीवमां ज छे. ए रीते सत्ता एक
पदार्थस्थित छे.
महासत्ता विश्वरूप छे ने अवांतरसत्ता एकएक पदार्थरूप छे,–एम तेमने
प्रतिपक्षपणुं छे.
महासत्ता अनंतपर्यायमय छे अने अवांतरसत्ता एकपर्यायमय छे.
अनंतपर्यायमयपणुं ने एकपर्यायमयपणुं बंने प्रतिपक्ष होवा छतां सत्तामां ते बंने
रहेलां छे. आम सत्तानुं द्विविध स्वरूप छे.
अनंत पदार्थोनी सत्ता जगतमां छे, पण तेनो स्वीकार स्वसत्तानी सन्मुख
थईने थाय छे. अनंत पदार्थो सामे जोईने ज्ञान तेने नथी जाणतुं पण स्वसत्तानी
सन्मुख थयेलुं ज्ञान सर्व पदार्थनी सत्ताने जाणे छे. जगतमां बधा पदार्थो सत् छे
माटे अहीं केवळज्ञान सत् छे–एम नथी; केवळज्ञाननुं सत्पणुं पोताथी छे; पदार्थोनुं
सत्पणुं तेमनाथी छे. कोईनुं सत्पणुं बीजाना कारणे नथी. परनुं होवापणुं तारे
लईने नथी के तुं तेने टकाव. तारुं होवापणुं तारामां, परनुं होवापणुं परमां. हवे
एक वस्तुना सत्ना जे पेटाभेद (गुण–पर्यायो के उत्पाद–व्यय–ध्रुव) तेमां पण
दरेक भेदनुं सत्पणुं पोतापणे छे. ज्ञानपर्याय ज्ञानपर्यायपणे सत् छे, दर्शनपर्याय
दर्शनपर्यायपणे सत् छे, पण ज्ञाननी सत्ता ते ज दर्शननी सत्ता नथी. एक गुणनी
अनंतपर्यायोमां पण दरेक पर्याय पोतपोताना स्वरूपे सत् छे. एक पर्यायना सत्ने
कारणे बीजी पर्यायनुं सत् नथी. आखी वस्तुना सत्पणामां बधा गुण–पर्यायो
समाई जाय छे. तथा उत्पाद–व्यय–ध्रुव पण तेमां समाई जाय छे. जुओ, आवा
सत्ने जाणवानी आत्मानी ताकात छे. आत्मा ज्ञाननो मोटो भंडार छे, तेमां बधुंय
जाणवानी ताकात छे. गमे तेटलुं जाणे पण ज्ञाननो भंडार कदी खूटे तेवो नथी.
अहो, वीतरागमार्गनी आवी शैली, सर्वज्ञना केडायती दिगंबर संतोए टकावी
राखी छे.