Atmadharma magazine - Ank 314
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: मागशर : २४९६ : १३ :
वस्तुनी स्वाधीन सत्तानी प्रसिद्धि
पंचास्तिकाय गाथा. ८नां प्रवचनो
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अनंता सिद्ध भगवंतो, अनंता परमाणुओ, अनंत जीवो–ते बधाना द्रव्य–गुण–
पर्यायने जाणवाना सामर्थ्यवाळी एक केवळज्ञानपर्याय उत्पन्न थाय छे, ते पर्यायना
उत्पादनुं तो उत्पाद एक ज लक्षण छे; ध्रुव छे माटे उत्पाद छे, के व्यय छे माटे ते उत्पाद
छे–एम नथी. परना उत्पाद–व्यय–ध्रुव तो आ पर्यायमां नथी, पण पोतामां जे उत्पाद
छे, ते व्यय के ध्रुवने लईने नथी. उत्पादनुं लक्षण उत्पाद ज छे, व्ययनुं लक्षण व्यय छे,
ध्रुवनुं लक्षण ध्रुवता छे; एम तेमने दरेकने एकलक्षणपणुं छे. आखुं जे सत् ते एक साथे
उत्पाद–व्यय–ध्रुव एवा त्रिलक्षणवाळुं छे.
आत्मानो ध्रुवस्वभाव अनंत गुणनो सागर, ने तेनी एक पर्यायमां अनंता
केवळीने जाणी लेवानी ताकात, ते ज्ञाननो गंभीर समुद्र, मोटो परमेश्वर छे. आवा
केवळज्ञाननो उत्पाद पोताना कारणे छे. समवसरणमां प्रभु बिराजे छे, ज्ञानीनुं
लक्ष त्यां गयुं ने प्रभुनुं ज्ञान थयुं, त्यां ते ज्ञाननो उत्पाद पोतामां छे ने प्रभुनो
उत्पाद प्रभुमां छे. अरे, आवो ज्ञाननो महान दरियो, ते रागनो करनार होय नहीं.
एटले राग छे माटे ज्ञाननो उत्पाद थाय छे एम पण नथी. आवा स्वतंत्र
वस्तुस्वभावने ओळखे त्यां रागनी कर्तृत्वबुद्धि पण रहे नहीं; ने परनो तो
पोतामां अभाव छे ज.
उत्पाद–व्यय–ध्रुवस्वरूप जे त्रिलक्षणी वस्तु, तेमां ध्रुवमां अनंतगुणो समाय छे.
ध्रुवने महासत्ता गणीने तेमां पेटा भेद (अवांतर सत्ता) जुओ तो अनंतगुणनी सत्ता
छे. मोटो गुणनो दरियो, तेमां अनंतगुणनी ध्रुवता, ते ध्रुवने कारणे छे, तेमां
समयेसमये पर्यायनो उत्पाद ते उत्पादने कारणे छे, व्यय ते व्ययने कारणे छे. आ बधा
पदार्थरूप विश्वने जाणवानी ज्ञाननी ताकात छे. अरे, आवा ज्ञानने रागनुं काम सोंपवुं
ते विपरीत छे.
साधकने ज्ञाननो अने रागनो उत्पाद एक समये थतो होवा छतां, आ
राग छे तो ज्ञान छे एम नथी, के ज्ञाने रागने उत्पन्न कर्यो छे एम पण नथी.
अहो, अलौकिक गंभीर वस्तुस्वरूप छे. आवा द्रव्यानुयोगनो सूक्ष्म अभ्यास
करवो एम श्रीमद्