Atmadharma magazine - Ank 314
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: मागशर : २४९६ : २७ :
राग वगरनो भाव प्रगट्यो छे माटे तेने बंधन नथी, पण जेने रागमां ने देहनी
क्रियामां ज एकताबुद्धि पडी छे, देहथी ने रागथी भिन्न उपयोगनी जेने खबर नथी,
स्वच्छंदथी रागमां प्रवर्ते छे,–अने छतां कहे छे के मने बंधन थतुं नथी, तो एने तो
मिथ्यात्वनी तीव्रता छे; भेदज्ञान शुं छे, सम्यग्दर्शन शुं छे, एनी एने खबर नथी. ते तो
तीव्र मिथ्यात्वने लीधे बंधाय ज छे. सम्यग्द्रष्टिने तो रागथी जुदो, राग वगरनो भाव
छे ते बंधनुं कारण नथी.
उपयोगस्वरूप शुद्ध आत्माने अनुभवतो सम्यग्द्रष्टि जीव पोतानी
उपयोगभूमिमां रागनेय आववा देतो नथी तो कर्मनुं बंधन केम होय? चैतन्यनी
भूमिमां ज्यां राग ज नथी त्यां कर्मबंधन केवुं? धर्मीना उपयोगमां आत्मा समीप छे,–
राग समीप नथी, राग तो दूर छे, जुदो छे; आत्मा साथे एकता छे तेथी आत्मा ज
नजीक छे. जेने राग साथे एकता छे तेने आत्मा दूर छे. शुभरागथी मने लाभ थशे,
शुभराग मने मोक्षनुं साधन थशे–एम माननार अज्ञानीने शुद्धआत्मा दूर वर्ते छे.
आत्मानो अनादर करीने ते राग साथे मित्रता करे छे, ए ज बंधनुं कारण छे. जेने राग
साथे मित्रतानो अभाव छे, एकतानो अभाव छे, तेने बंधनो अभाव छे. ते तो
ज्ञानरूपे ज परिणमतो थको मोक्षने साधे छे.–सम्यग्द्रष्टिनी आवी अद्भुत दशा छे.
चोथा गुणस्थानवाळा धर्मी जीव शुं करे छे? के ज्ञानरूपे ज परिणमे छे. शरीरने
अने रागने ज्ञानथी भिन्न जाणीने पोताना आत्माने ज्ञानरूपे ज अनुभवे छे. ज्ञानना
अनुभवमां बीजा कोई रागादि भावोने जरा पण आववा देता नथी. आवुं भेदज्ञान ते
मोटुं काम छे. मोक्षने माटे एज खरूं काम छे.
रागथी जुदुं ज्ञान कहो के आनंद कहो, तेमां ज्यां एकता थई त्यां आखा
संसारनो अंत आवी गयो. अज्ञानी बहारनां गमे तेटलां व्रत–तप–त्याग करे पण ए
शुभरागने उपयोग साथे एक करे छे–तेथी तेने आखो संसार ऊभो ज छे; केमके
रागमां उपयोगनी एकता ते ज संसारनुं मूळ छे. जेणे आवुं अज्ञान तो छोड्युं नथी,
हिंसादि भावोमां वर्ते छे, अने छतां कहे छे के अमने पण बंधन थतुं नथी,–ए तो
स्वच्छंद छे; ज्ञाननी तो तेने खबर नथी, ने परभावनी कर्तृत्वबुद्धि छे ते तो अज्ञानथी
जरूर बंधाय छे.
ज्ञानस्वरूप आत्माने जे जाणे छे ते तो रागने जरापण करतो नथी. राग थाय
ते जुदी वात छे, ने ते रागमां एकत्वबुद्धिथी तेना कर्ता थवुं ते जुदी वात छे. धर्मी तो
राग अने ज्ञानना भेदज्ञान सहित वर्ते छे, तेने परजीवोनुं कर्तृत्व के