ज्यारे बंधभाव करे त्यारे ते परवस्तुना ज आश्रये करे छे. माटे परद्रव्यनो
आश्रय छोडवानो भगवाने उपदेश आप्यो छे.
छे. जो परवस्तु ज बंधनुं कारण थती होय तो, जगतमां सदाय तेनुं अस्तित्व छे
एटले सदाय बंधन थया ज करे, मोक्ष कदी थाय ज नहीं.–पण एम नथी, केमके
बाह्यवस्तु पोते बंधनुं कारण नथी; ते बाह्यवस्तु बंधभावमां निमित्त होवा
छतां ते पोते बंधनुं कारण थती नथी. स्वनो आश्रय छोडीने ते परद्रव्यना
आश्रये अशुद्धभावे परिणमे तो ज जीवने बंधन थाय छे. बंधभाव जीव करे
अने परद्रव्यनो आश्रय न होय–एम बने नहीं, केमके स्वद्रव्यना आश्रये कदी
बंधभाव थाय नहीं; बंधभाव परना ज आश्रये थाय.
भगवाने कह्युं नथी. भगवाने देहादि परद्रव्यनुं ममत्व छोडीने, ज्ञानमय
स्वद्रव्यना आश्रये मोक्षने साध्यो छे. शुद्ध आत्माना आश्रये थयेला सम्यग्दर्शन–
ज्ञान–चारित्र ते ज मोक्षमार्ग छे केमके ते स्वद्रव्य छे. द्रव्यलिंग, शरीरनी
क्रियाओ वगेरे परद्रव्याश्रित छे, शुभ विकल्पो परद्रव्याश्रित छे, तेओ जीवने
मोक्षनुं कारण नथी. (जुओ गाथा ४१०)
पूरुं थवाथी मरी जाय,–त्यां बाह्यमां जीवडुं मरवा छतां, हिंसाभावना अभावने
लीधे ते मुनिराजने बंधन थतुं नथी. माटे ए सिद्धांत नक्की थयो के बाह्यवस्तु
बंधनुं कारण नथी, जीवनो हिंसादिभाव ज बंधनुं कारण छे.