: ४० : : पोष : २४९६
संकटमां पण चंदना तो धैर्यपूर्वक धर्मध्यानमां पोतानुं चित्त जोडती...अने विचारती के
मारा पूर्वना कोई पापकर्मनुं आ फळ छे. धन्य छे त्रिशलाबहेनना पुत्र महावीरने, के जेओ
आ संसारनो मोह छोडी मुनि थई आत्मस्वरूपने साधवामां तत्पर छे. अल्पकाळमां तेओ
तीर्थंकर थशे. अहो, क्यारे हुं एमना दर्शन पामुं! ने क्यारे आ संसार छोडीने आर्यिका
बनुं!! आवी भावनापूर्वक बेडीना बंधनमां जकडायेली चंदना दिवसो वीतावे छे. जुओ,
संसारनी विचित्रता!–आ चंदनानी ज बहेन मृगावती, ते तो आ कौशाम्बीनगरीनी
महाराणी छे ने राजमहेलमां बिराजे छे, त्यारे एनी ज नानी बहेन चंदना ए ज गाममां
बेडी वच्चे बंधायेली छे.–मृगावतीने तो एनी खबरेय नथी.
हवे मुनिदशामां विचरता–विचरता भगवान महावीर एक दिवस आ
कौशाम्बीनगरीमां पधार्या...नगरजनो एमना दर्शनथी धन्य बन्या. बेडीमां बंधायेली
चंदनबाळा पण भगवानना दर्शननी अने तेमने पारणुं कराववानी उत्तम भावनाओ
भाववा लागी...बराबर ए ज वखते मुनिराज महावीर आहार माटे ते तरफ पधार्या.
अहा! प्रभुने देखतां ज चंदनानुं अंतर कोई अचिंत्य भक्तिथी उल्लसी गयुं...
भगवानने निमंत्रण करवा माटे ज्यां पग उपाडवा जाय छे त्यां तो एनी बेडीना
बंधनो तूटी गया...बेडीने बदले सुवर्णना आभूषणो बनी गया...सुभद्राए आपेल
हलकुं भोजन उत्तम आहाररूप बनी गयुं. अत्यंत प्रसन्नता अने नवधा भक्तिथी
चंदनाए महावीर मुनिराजने आहारदान कर्युं. एना आनंदनो पार न रह्यो. देवोए
पण आनंदथी वाजां वगाडीने रत्नवृष्टी करी. आखी नगरीमां आनंद–आनंद छवाई
गयो. चंदना सतीनो प्रभाव सर्वत्र फेलाई गयो. आ समाचार जाणीने चंदनानी मोटी
बहेन राणी मृगावती पण त्यां आवी ने पोतानी नानी बहेनने जोतां तेना आश्चर्यनो
पार न रह्यो. अरे आ तो कौशाम्बीना महाराणीनी बहेन छे–एम जाणतां ज
वृषभसेन शेठे अने भद्रा शेठाणीए तेनी माफी मांगी. पछी सौ साथे मळीने भगवान
महावीरनी वंदना करवा चाल्या; नगरीना हजारो लोको पण साथे चाल्या.
आ बाजु भगवान महावीरने केवळज्ञान थई गयुं हतुं, समवसरणमां भगवान
महावीरना उपदेशथी चंदनासतीने संसारप्रत्ये तीव्र वैराग्य जाग्यो. सम्यग्दर्शन अने
सम्यग्ज्ञानथी शोभती ते चंदना सती भगवान पासे दीक्षित थईने अर्जिका थई, ने
तपश्चरण करवा लागी. ज्ञानध्यानना प्रभावथी ३६००० अर्जिकाओमां तेणे गणिनीपद
प्राप्त कर्युं, ने स्त्रीपर्यायनो छेद करीने एकावतारीपणे उत्तम स्वर्गमां गया.
ज्ञान अने शीलथी शोभतुं ए चंदनानुं जीवन भारतनी सर्व महिलाओने माटे
पवित्र आदर्शरूप छे. एवी आदर्श धर्मात्मासतीओ ते भारतनुं महान भूषण छे.