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जागो रे जैनो जागो...तमे वीरमार्गे लागो
१९७० ना मार्च मासमां थनार वसतीपत्रकमां “जैन” लखावो
आपणे जैन...एटले जिनवरना सन्तान...जिनदेवना अनुयायी
भारतभरमां सर्वत्र जैनो वसे छे...तेनी एकंदर संख्या एक करोड जेटली
अंदाजाय छे.
जैनधर्मे भारतदेशने ऊंचामां ऊंचा अध्यात्म–संस्कारो अने वीतरागी अहिंसा
आप्यां छे...ज्योर्ज बर्नाड शो जेवा परदेशी पण जैनधर्मथी प्रभावित थयेल छे.
राष्ट्रनेता गांधीजीए जेमनी पासेथी आर्यसंस्कारोनी प्रेरणा मेळवी ते श्रीमद् राजचंद्रजी
फाळो आपनार वीर भामाशाह पण जैनधर्मी हता.
महागुजरातनी त्रणेक करोडनी वस्तीमां सात–आठ लाख जैनो हशे. एकला
अमदावादमां ज लाख उपरांत जैनो वसे छे, भावनगर, जामनगर, राजकोट वगेरे
शहेरोमां पण विपुल संख्यामां जैनो वसे छे. राजस्थानमां जयपुर, अजमेर, उदेपुर
वगेरे शहेरो पण जैनोनी वस्तीथी भरपूर छे. मध्यप्रदेशमां पण ईंदोर, उज्जैन,
भोपाल वगेरे घणा शहेरो जैनवस्तीथी भरपूर छे. एकला मुंबईमां लाखथी वधु जैनो
वसे छे ने महाराष्ट्र प्रदेशमां खूब जैनो वसे छे. कलकत्तामां दर कार्तिकी पुनमे
रथयात्रामां लाखो जैनोनो मेळो भराय छे. दिल्हीमां पण जैनोनी घणी मोटी वस्ती छे.
अने, आखोय दक्षिण प्रदेश केटलाय लाख जैनोथी अने प्राचीन जैनवैभवथी भरेलो छे.
दक्षिणप्रदेशना विपुल जैनवैभवथी आपणे अत्यार सुधी एटला अजाण हता के
कुंदकुंदस्वामीना पोन्नुर जेवा प्रदेशमां–ज्यां दर वर्षे लाखो जैनोनो मेळो भराय छे ने
जेनी आसपास गाउना गाउ सुधी जैनोनी वस्ती भरेली छे, एवा पोन्नुरनुं नाम पण
आपणे पंदर वीस वर्ष पहेलां जाणता न हता. पू. कानजी स्वामीए दक्षिणदेशना
तीर्थोनी यात्रा करी त्यारे त्यां ठेर ठेर आपणा लाखो जैनबंधुओ आपणे नजरे देख्या,
अने दक्षिणना धर्मवैभवनो थोडोक ख्याल आव्यो.
–आ रीते एक करोड जेटला जैनोथी भारतदेश शोभी रह्यो छे. अने छतां,
भारतमां महावीर जयंति जेवा सुप्रसिद्ध दिवसने पण जाहेर तहेवारनी रजा तरीके
केन्द्रसरकार स्वीकारती नथी, ए आश्चर्य छे. (जो के राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र
वगेरे केटलाक राज्योमां महावीरजयंतिनी जाहेर रजाओ पडे छे.)