Atmadharma magazine - Ank 316
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: २२ : : महा : २४९६
कंई भरोसो नथी, युवानी मटीने बुढापो आवी जाय छे; आयुष्य तो दररोज घटतुं जाय
छे, शरीर तो मेलनुं घर छे. विषयो तो पापथी भरेला छे, तेमां दुःख ज छे, आवा
अपवित्र, अनित्य अने पापमय संसारनो मोह शो? ए तो छोडवा योग्य ज छे.
वहाली वस्तुनो वियोग ने अणगमती वस्तुनो संयोग संसारमां थया ज करे छे.
संसारमां कर्मरूपी शत्रु द्वारा जीवनी आवी दशा थाय छे, माटे आत्मध्यानरूपी अग्निवडे
ते कर्मने भस्म करीने हुं अविनाशी मोक्षपद प्रगट करीश. हे राजा! तुं पण आ
संसारनो मोह छोडीने मोक्ष माटे उद्यम कर.
मुनिवेशमां रहेला मणिकेतुदेवनी आ वैराग्य भरी वात सांभळीने राजा सगर
चक्रवर्ती संसारथी भयभीत तो थयो, परंतु पुत्रोना तीव्र स्नेहने लीधे ते मुनिदशा लई
न शक्यो. अरे, स्नेहनुं बंधन केवुं मजबुत छे! राजानो आवो मोह देखीने
मणिकेतुदेवने विषाद थयो; अने, हजी पण आनो संसार बाकी छे–एम विचारीने ते
चाल्यो गयो. अरे, जुओ तो खरा! आ साम्राज्यनी तुच्छ लक्ष्मीने वश चक्रवर्ती पूर्व
भवनी अच्युतस्वर्गनी लक्ष्मीने पण भूली गयो छे! ते स्वर्गनी विभूति पासे आ
राजसंपदा शुं हिसाबमां छे!–के तेना मोहमां जीव फसायो छे! पण मोही जीवने सारा–
नरसानो विवेक रहेतो नथी. खरेखर तो आ चक्रवर्ती पुत्रोमां ज सर्वस्व मानीने तेमां
मोहित थयो छे, पुत्र प्रेममां ते एवो मशगुल थई गयो छे के स्वर्ग–मोक्षना उद्यमने
पण भूली गयो छे!
ते चक्रवर्तीने ६० हजार सुंदर पुत्रो हता. सिंहना बच्चा जेवा शूरवीर अने
प्रतापवंत राजपुत्रो एकवार राजसभामां आव्या अने विनयपूर्वक कहेवा लाग्या के हे
पिताजी! युवानीमां शोभे एवुं कोई साहसनुं काम अमने बतावो.
त्यारे चक्रवर्तीए हर्षित थईने कह्युं: हे पुत्रो! चक्र वडे आपणा बधा कार्यो सिद्ध
थई चुक्या छे; हिमवन पर्वत अने लवणसमुद्र वच्चे (छ खंडमां) एवी कोई वस्तु
नथी–जे आपणने प्राप्त थई न होय! तेथी तमारा माटे तो हवे एक ज काम बाकी छे के
आ राजलक्ष्मीनो यथायोग्य भोगवटो करो.
शुद्ध भावनावाळा ते राजपुत्रोए फरीने पण आग्रह कर्यो के हे पिताजी! अमने
धर्मनी सेवानुं कोई कार्य सोपों; जो तमे अमने कांई कार्य नही सोंपो तो अमे भोजन
नहीं करीए; (बधा राजपुत्रो चरमशरीरी धर्मात्मा हता; तेमनी आ मांगणी एवो
आदर्श रजु करे छे के युवानोए धर्मकार्योमां उत्साहथी भाग लेवो जोईए.) उत्साही
पुत्रोनो आग्रह देखीने राजाने चिंता थई के आने कयुं काम