Atmadharma magazine - Ank 316
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: ३० : : महा : २४९६
नास्तिकता तरफ ढसडाई रहेला आ जमानामां पण,
ज्ञानीगुरुओना प्रतापे आस्तिकतानुं आंदोलन प्रसरी रह्युं छे;
ने हजारो बाळको युवानो आस्थापूर्वक धर्ममां रस लई रह्या छे.
प्रश्न:– शास्त्रो कहे छे के सारा कृत्य करे ते स्वर्गमां जाय अने दुष्ट कृत्य करे ते
नरकमां जाय; पण नरक अने स्वर्ग जोवा कोण गयुं हतुं?
(–चेतनाबेन जैन स. नं. १८० जामनगर)
उत्तर:– बेन, आपणा देशमां २४ तीर्थंकरभगवंतो थई गया–एम तमे मानो
छोने?–हा; तेमने तमे जोया छे? ना; अने छतां खातरी छे के तेओ हता ज. सामान्य
लौकिक दाखलो लईए तो गांधीजी अने गोडसे जेवा मनुष्यो वीसेक वर्ष पहेलां आ
भारतभूमिमां हता ए तो तमे मानो छोने!–बेमांथी एक्केयने तमे नजरे जोया नथी छतां
तेने तमे मानो छो अने शंका ऊठती नथी. केमके तेमना संबंधी पुस्तकद्वारा, बीजा अनुभवी
मनुष्योना कथन द्वारा के अन्य अनुमानोथी तमे तेनो स्वीकार करो छो के जरूर ते हता.
तो ए ज रीते स्वर्ग–नरक पण छे,–एनो स्वीकार थई शके छे. तेने लगता
शास्त्रोद्वारा, (शास्त्रकारो एवा वीतरागी हता के खोटुं लखवामां तेमने कोई हेतु न
हतो.) तथा विशेषज्ञानी प्रमाणभूत ज्ञानीओ द्वारा अने बीजा प्रमाणो (जातिस्मरण
ज्ञान वगेरे) थी ए बधायनुं निःशंक अस्तित्व समजी शकाय छे. एवा प्रमाणभूत
ज्ञानी जीवो पण छे के जेओ पूर्वे भूतकाळमां स्वर्गमां हता तेनुं अत्यारे तेमने ज्ञान
होय. अमुक स्थळे स्वर्गना देवोनुं आगमन पण कोईवार संभवे छे. तीर्थंकर
भगवानना कल्याणक प्रसंगे के भगवाननी समवसरणसभामां तो देवोने आपणे पण
नजरे देखी शकीए. अमेरीका कदी न जोयुं होय छतां जेटली सहेलाईथी तेनुं अस्तित्व
स्वीकारी शकाय छे एटली ज सहेलाईथी स्वर्ग–नरकनुं अस्तित्व पण स्वीकारी शकाय छे,
ने जरूर ते स्वीकारवुं जोईए. ते स्वर्ग–नरकना कारणरूप भाव (पुण्य ने पाप) पण
जीवोमां देखाय छे; तो ते कारण अनुसार कार्य (–तेना फळरूप स्वर्ग–नरक) जरूर छे.
अने मोक्षदशा–सिद्धदशा तो एनाथी पण घणी सूक्ष्म छे–के जे वीतरागभावनुं फळ छे.
अत्यारे अहींथी आपणने स्वर्ग–नरक न देखाता होय तो ते आपणा