Atmadharma magazine - Ank 317
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: फागण: २४९६ आत्मधर्म : २५ :
माह वद १४ (ता. ६) ना रोज विश्वसेन महाराजाना राजदरबारमां तेवीसमा
तीर्थंकर पार्श्वनाथप्रभुना मंगल जन्मनी वधाई आवी पहोंची. चारेकोर आनंद आनंद
छवाई गयो...घंटनाद थया....वाजां वाग्या...हजारो लोकोनां टोळाए बनारसी नगरी
तरफ प्रभुजीनो जन्मोत्सव जोवा दोड्या...देवीओ मंगल–गीत गाती गाती हर्षानंदथी
नाचवा लागी...ईन्द्रोनु ईन्द्रासन कंपी ऊठयुं...अवधिज्ञानथी तीर्थंकरजन्म जाणीने ईन्द्रे
आनंद पूर्वक सिंहासनथी ऊतरीने प्रभुने नमस्कार कर्या...ए नमस्कार द्वारा प्रसिद्ध कर्युं
के जगतमां पुण्यफळरूप आ ईन्द्रपदनो महिमा अमने नथी पण धर्मतीर्थना प्रणेता
एवा तीर्थंकरनो अपार महिमा छे, एटले हे जीवो! तमे पुण्य करतां वीतरागधर्मने
श्रेष्ठ जाणीने तेनी भक्तिथी उपासना करो.
तरत ऐरावत उपर ईन्द्रनी सवारी काशी नगरीमां आवी पहोंची; प्रदक्षिणा
करी, ने शचीदेवीए माताजी पासे जईने बालतीर्थंकरने तेडया...अहा! प्रभुनो स्पर्श
थतां जाणे मोक्षनो ज स्पर्श थयो...एवा आनंदथी ते ईन्द्राणी पण एकावतारी बनी
गई. प्रभुने गोदमां लईने ईन्द्रने आप्या, ईन्द्र तो आश्चर्यथी जोई ज रह्या, फरी फरीने
जोई ज रह्या; ए क्षायकसम्यग्द्रष्टि बाळकने जोतां एनां हजार नेत्रो तृप्त तृप्त थयां.
अने ऐरावत उपर बिराजमान करीने प्रभुनी सवारी मेरूपर्वत तरफ चाली...सवारीनो
शरूनो भाग ज्यारे मेरु उपर पहोंची गयो त्यारे तेनो छेडो हजी मंडप पासे हतो.
आखीये शिरपुरनगरी आ जन्माभिषेकनी सवारीथी छवाई गई हती. आश्चर्यकारी
हती ए प्रभुसवारी, अने अद्भुत हतो भक्तोनो उल्लास! पंदर हजार भक्तोनी
वणझार विधविध भाषामां सत्यधर्मना एटले के दिगंबर जैनधर्मना जयघोष गजावती
हती,–“पारसप्रभुना पगले चालवा...भक्तो सौ तैयार छे; जिनशासननी रक्षा करवा...
शिर देवा तैयार छे”–एवा धर्मप्रेमथी नगरी गाजती हती.
नुतन जिनालय पासे ज मेरूपर्वतनी रचना हती, त्यां आवीने ईन्द्रोए त्रण
प्रदक्षिणा करी. थोडीवारमां आनंदभर्या कोलाहल वच्चे पारसनाथ तीर्थंकरनो
जन्माभिषेक शरू थयो. अद्भुत हतुं ए द्रश्य! अदभुत हतो ए जिनेन्द्रमहिमा! गामना
घणा लोको समजता नहीं होय के आ शुं थाय छे?–पण धर्मनुं आ कांईक सारूं काम
थाय छे एवी भावभीनी लागणीथी तेओ होंशेहोंशे दर्शन करता हता. श्री कानजी
स्वामीए पण जिनेन्द्र अभिषेक कर्यो हतो; ए वखते जाणे उत्तम भूत–भाविनुं मिलन
थतुं होय एवुं द्रश्य हतुं. आसपासना गामोनी जनताए उल्लासथी सवा हजार जेटला
कळशो