Atmadharma magazine - Ank 317
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: २६ : आत्मधर्म : फागण : २४९६
लखाव्या हता; एकला जन्माभिषेकमां ज ७प००० (पोणो लाख) जेटली आवक थई
हती. चारेकोर आनंद–भक्ति–नृत्य अने जयजयकारना मंगल कोलाहल वच्चे
जन्माभिषेक पूरो थयो ने ईन्द्राणीए दिव्य वस्त्राभरणथी ए बालतीर्थंकरने शणगार्या;
जिनेन्द्र प्रभुनी सवारी मेरुथी पाछी काशी नगरीमां आवी पहोंची. माताजीनी गोदमां
तेमना पुत्रने सोंपीने ईन्द्र–ईन्द्राणीए आनंदमय नृत्य कर्युं, साथे हजारो भक्तो
आनंदथी नाची ऊठया.
आ उत्सव प्रसंगे कारंजाना ऋषभदासजी शेठनो पौत्र आवेल, जेनुं नाम प्रदीप
अने उंमर वर्ष नव, ते अनेक विषयोमां तीक्ष्णबुद्धि धरावे छे, कोलेजना विद्यार्थीओ
समक्ष दोढ दोढ कलाक सुधी प्रवचन आपी शके छे, धार्मिक प्रश्नोना पण सारा जवाब
आपे छे. गुरुदेव समक्ष लगभग अडधी कलाक तेने वातचीत थई. पंडितो पण प्रसन्न
थया. विशेषता ए छे के आ बधुं तेने कोईना शीखव्या वगर आवडे छे. तेने एक प्रश्न
एवो पूछयो के भगवाननी पूजा करवी ते शुं छे? तो कहे के ते शुभ छे. पछी पूछयुं–
पुण्य अने धर्ममां शुं फेर? तो कहे के–शुभ ते पुण्य छे, अशुभ ते पाप छे; पण मोक्षमें
जानेके लिये उसका कोई उपयोग नहीं.–आवा नानकडा संस्कारी बाळको पण जे प्रेमथी
जैनधर्मने उपासी रह्या छे ते एक गौरवनी वात छे.
बपोरना प्रवचन पछी पारसकुंवरनुं पारणाझूलन थयुं हतुं....सम्यक्त्वना
पारणीये झुली रहेला ए नानकडा प्रभुने माताजी परम हेतथी हींचोळता हता ने
हालरडुं गाता हता. रात्रे पारसकुमारने राजतिलक करीने राजदरबार भरायो हतो.
पारसप्रभुनी प्रतिष्ठानोआ महोत्सव खूज ज आनंदोल्लासथी उजवातो हतो.
शिरपुरना आंगणे आवो मंगल–उत्सव देखीने जैनजनता तो प्रसन्न थाय ज, नगरनी
समस्त जनता पण हर्षविभोर बनी गई हती. नगरना मुख्य आगेवानोए सभामां
आवीने गुरुदेवनो सत्कार कर्यो हतो अने एवी भावना व्यक्त करी हती के मंदिर और
मूर्ति जो कि दिगंबरोंका है वह उनको मिल जाना चाहिए. तभी शांति हो सकती है कि–
जिसकी जो चीज है वह उसको मिल जाय.’ अद््भुत उत्साह देखीने एक भाईए तो कह्युं
के ऐसी भक्ति देखकर पारसप्रभुओ फिर अपने असली दिगंबररूपको धारण करना
पडेगा. जो उपरनो बनावटी लेप उखडी जाय तो प्रभुनी प्रतिमा स्वयं साक्षी आपीने
साबित करी आपशे के मै दिगंबरी हूं; और रेती अने गोबरकी नहीं अपितु पाषाणकी
बनी हूई हूं. (अंतरीक्ष पार्श्वनाथनुं जे मंदिर छे तेमां बधी ज वेदीओमां