Atmadharma magazine - Ank 318
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 24 of 48

background image
: २२ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९६
लक्षमां ल्ये तो आनंदनो समुद्र मध्यबिंदुथी उल्लसे छे, ते आनंदने माटे बहारना कोई
साधननी के रागनी जरूर पडती नथी. आवा आत्माने ज ‘भगवान’ कहेवाय छे.
आवा भगवान आत्माने ओळखवो. तेनी रुचि करवी, तेनो अनुभव करवो ते अपूर्व
मंगळ धर्म छे.
गुरुदेवनो उतारो शिवाजी कोठीमां हतो. गुरुदेवना दर्शन–प्रवचननो लाभ लेवा
उज्जैन–भोपाल–ईन्दोर वगेरेथी हजारो जिज्ञासुओ आव्या हता. मध्यप्रदेशना मंत्रीजी
पण आव्या हता. अहीं कुल पांच दि. जिनमंदिरो छे. प्रवचनमां ४–प हजार श्रोताजनो
जिज्ञासाथी श्रवण करता हता. समयसारनी ७३ मी गाथा वंचाती हती; अने
संप्रदायना हठ–विकल्पोथी पार चिदानंदस्वरूप आत्मा जिनेश्वरदेवे केवो कह्यो छे ते
गुरुदेव समजावता हता.
आत्मानो स्वभाव रागथी भिन्न अने पोताना ज्ञान–दर्शन स्वभावथी परिपूर्ण
छे. आवा पोताना आत्मानो अंतरमां निर्णय करवो जोईए. आत्मा केवो छे? के स्वयं
प्रकाशमान प्रत्यक्ष ज्ञानज्योति छे. ईन्द्रियो वगर, राग वगर, पोताना ज्ञानथी ज
स्वसंवेदनप्रत्यक्ष छे. ‘आत्मा आवो छे’ एम पहेलां नक्की तो करो, पछी तेमां अंतर्मुख
थतां अनुभव एटले के सम्यग्दर्शन थाय छे. निर्विकल्प आनंदनी शरूआत चोथा
गुणस्थानथी थाय छे. ते केम प्रगटे तेनी आ वात छे.
आत्मानो ज्ञानस्वभाव पोते सुखथी भरेलो छे, तेनी जेने खबर नथी ने
बहारथी सुख लेवानुं माने छे, पोताना सुख माटे बहारनी वस्तु मांगे छे, ते जीव
मांगण छे, भिखारी छे. अनंती सुखनिधि पोतामां भरी छे तेने तो भोगवतो नथी,
जाणतो नथी, ने बीजा मने सुख आपे. पैसा होय तो मने सुख मळे, घर होय, वस्त्र
होय, स्त्री–पुत्र होय तो मने सुख मळे–एम माननारो जीव दीन पराधीन छे.
निजनिधानने जाणनार ज्ञानी तो जाणे छे के जगतना कोई पदार्थनो अंश पण मारे
जोईतो नथी, मारुं सुख तो मारामां छे. ए रीते ते जगतथी उदास छे. परथी भिन्न
एवा निजस्वभावने ओळख्या वगर जगत प्रत्ये साची उदासीनता के साचो वैराग्य
थाय नहीं.
आत्माना अनुभव वगर जीवे अनंतकाळमां शुभाशुभ भावो ज कर्या छे, पण
धर्म तो शुभाशुभथी जुदी जात छे; आत्मानुं सम्यग्दर्शन राग वगरनुं चिदानंद–
स्वभावनी श्रद्धारूप छे. आ वात ऊंची छे; पण ऊंचीनो एवो अर्थ नथी के न थई शके.
आत्माना अवलंबन वगर दिव्यध्वनिनुं श्रवण पण जीवने धर्मने माटे लाभकारी