Atmadharma magazine - Ank 318
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: ३४ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९६
भाई! तारा स्वघरने ओळखीने तेमां तुं आव, राग तो परघर छे; उपयोग
स्वरूप ज तारुं स्वघर छे ते स्वघरमां रागनो–विकारनो–दुःखनो प्रवेश नथी, स्वघरमां
तो अनंता चैतन्यनिधान अने परम आनंद भरेलां छे. ज्ञानस्वरूप आत्मा शेमां रह्यो
छे? के पोताना स्वसंवेदनरूप जे जाणनक्रिया–अनुभवक्रिया, तेमां ते रहेलो छे; रागादि
जे बंधननी क्रिया छे तेमां आत्मा रहेलो नथी. आत्मा तो प्रभु छे, ते रागमां विकारमां
केम रहे? पोतानी आवी प्रभुतानो पानो चडवो जोईए, तेना प्रेमनो उत्साह आववो
जोईए. जेम पुत्र प्रत्ये माताने प्रेम आवे छे तेम पोताना चिदानंदस्वभाव प्रत्ये धर्मीने
परम उत्साह आवे छे.
आत्मामां अंतर्मुख थतां राग वगरनी चैतन्यदशा प्रगटे छे, ते
चैतन्यदशामां आत्मा तन्मय छे, एटले तेना आधारे आत्मा छे, तेना वडे आत्मा
अनुभवमां आवे छे. रागमां आत्मा तन्मय नथी एटले तेना आधारे आत्मा
नथी, ने तेना वडे आत्मा जणातो नथी. माटे रागने एककोर मुकीने ज्यारे
अंतर्मुख ज्ञान वडे अनुभव करे छे त्यारे आत्मा जणाय छे. आवी अनुभवदशा
वगर आत्मा जणाय नहीं, अनुभवदशा ते पर्याय छे, तेना आधारे आत्मा छे एम
कह्युं; एटले राग एककोर जुदो रही गयो. आवुं भेदज्ञान ते मोक्षनुं कारण होवाथी
अभिनंदनीय छे, अने ते आनंदना अनुभव सहित छे. धर्मात्मानी आवी
अनुभवदशाने याद करीने गुरुदेवे तेनो महिमा कर्यो हतो.
रागथी जे धर्म माने छे एटले के रागने आत्मानुं स्वरूप मानीने वेदे छे ते
जीवने रागनुं ज वेदन छे; एकेन्द्रिय जीवना वेदनमां अने तेना वेदनमां फेर नथी,
बंनेना वेदननी जात एक ज छे. रागथी भिन्न आनंदनुं जेमां वेदन न होय ते
आत्मानो धर्म नथी. जेम शरीर अने आत्मा एक नथी, जुदी जात छे, तेम राग अने
ज्ञान बंने एक नथी, बंनेनी जुदी जात छे. एवुं भेदज्ञान करवुं ते धर्म छे.
[फागण वद ९ नी रात्रे वढवाण–जैन पाठशाळानी बाळाओ द्वारा धार्मिक
कार्यक्रम रजु थयो हतो, तेमां काव्य अने संवाद द्वारा राजमतीनी वैराग्यभावना रजु
थई हती; तेमज बाळकोनी धार्मिक भावनाओ रजु थई हती. प्रथम मंगलाचरणमां
जैन बाळपोथीनुं एक काव्य गवायुं हतुं. जैन–पाठशाळा द्वारा बाळको केवा उत्तम
संस्कार मेळवी शके छे ते जोईने आनंद थयो. साथे थोडो रंज पण थाय छे के मोटा
भागना गामोमां हजी पण जैन पाठशाळा चालती नथी.–बाळकोनी उन्नति माटे
आपणो समाज क््यारे ध्यान आपशे?