Atmadharma magazine - Ank 318
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: ४ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९६
भक्ति थई हती. जिनमंदिर थया पछीनी आ पहेलवहेली ज भक्ति होवाथी पू.
बेनश्री–बेने घणी भावभीनी भक्ति करावी हती.
फागण सुद ९ नी सवारमां जिनमंदिरमां दर्शन–भक्ति करीने मंगल
जयजयकारपूर्वक मलकापुर तरफ प्रस्थान कर्युं.
* ज्ञान–प्रकाश *
माननीय प्रमुख श्री नवनीतलालभाई सी. झवेरी
मोटा मोटा दशेक शहेरोमां ईलेकट्रीक पावर हाउस धरावे छे;
सौथी पहेलुं पावर हाउस चालीसेक वर्ष पहेलां तेमणे आ
जलगांव शहेरमां शरू करेलुं. त्यांना निमंत्रणथी पू. गुरुदेव
पधार्या हता, त्यां मेनेजर अने स्टाफना पसासेक
भाईओए स्वागत कर्युं हतुं, मंगळरूपे पांच मिनिटना
प्रवचनमां गुरुदेवे कह्युं के–आत्मा आ देहथी भिन्न
चैतन्यतत्त्व छे; देह हुं नथी हुं तो चैतन्यप्रकाशनो पूंज छुं–
एम ओळखाण करवी जोईए. हुं कोण छुं? ने परचीज शुं
छे? एम स्व–पर बंने चीजने जाणीने पोताना स्वभावनुं
भान करवुं अने आत्मामां सम्यग्ज्ञाननो प्रकाश प्रगट
करवो, ते ज कल्याण छे. आवा ज्ञानप्रकाश वगरनी बधी
वात मिथ्या छे. आत्माना ज्ञान वगर पुण्य–पाप करे तेथी
स्वर्ग के नरकनो भव मळशे, पण जन्म–मरण मटशे नहीं
ने मोक्षसुख मळशे नहीं. माटे आ मनुष्य भवमां आत्माने
ओळखीने चैतन्यप्रकाश प्रगट करवो ते कर्तव्य छे.
आ प्रसंगनी खुशालीमां कंपनी तरफथी रूा.
१००१/– (एक हजार ने एक) ज्ञानप्रचार खाते जाहेर
करवामां आव्या हता. वीजळी–प्रकाशना दशेक पावर हाउस
धरावनारा श्री नवनीतभाई ज्ञानप्रकाशना प्रचार माटे
पण खूब लागणी धरावे छे.