: वैशाख : २४९६ आत्मधर्म : ३५ :
४. तीर्थंकर भगवान एकला मोक्ष नहीं जाय, साथे असंख्यात जीवोने पण
मोक्षमां लई जशे.
प. स्वर्गना आ मंगल घंटा एनी मेळे वागी रह्या छे ने विश्वने बोलावी रह्या
छे के अहो जीवो! आ तीर्थंकर भगवाननो जन्मोत्सव जोवा आवो.
६. तीर्थंकरना अलौकिक महिमाना चिंतनथी घणा जीवो तो सम्यग्दर्शन पण
पामी जाय छे.
७. अहा, धन्य छे ए जगतजनेता मरूदेवी माता...के जेमनी गोदमां तीर्थंकर
भगवान बिराजे छे.
८. जेनी मुद्रा जोतां आत्मस्वरूप लखाय छे रे...
९. ‘
शुद्धोसि बुद्धोसि’ ...कहीने मरूदेवी माता एनुं पारणुं झुलावशे.
१०. ऋषभकुमार मोटा थईने मुनि थशे ने भरतक्षेत्रमां धर्मतीर्थ वर्तावशे.
११. भगवान तो मोक्षगामी, ने तेमना बधा पुत्रो पण मोक्षगामी चरमशरीरी
छे.
१२. कल्पवृक्ष ज्यारे सुकाया त्यारे ऋषभदेवे पोते ज कल्पवृक्षनुं काम कर्युं.
१३. भगवाने जगतने आत्मविद्या शीखवी.
१४. तीर्थंकरना अवतारनी वात सांभळतां हृदयमां आनंदनो सागर ऊछळे छे.
१५. प्रभो, आ आंखथी आपने देखतां पण हर्ष थाय छे, तो ज्ञानचक्षुथी
आपने देखतां जे परम आनंद थाय तेनी शी वात?
१६. चालो रे चालो, भगवानना जन्मनो महान उत्सव करवा आपणे अयोध्या
नगरीमां जईए. स्वर्गनो दिव्य ठाठमाठ अने ऐरावत लईने आनंदथी प्रभुनो
जन्मोत्सव उजवीए.
ईन्द्रोनी साथे ईन्द्राणीओए पण प्रभुना जन्मोत्सवमां पोतानो आनंद प्रगट
करीने पोतानी भक्ति व्यक्त करी.
१. (शची ईन्द्राणी कहे छे–) अहा, नानकडा तीर्थंकर कुमारने तेडीने मारा आ
बे हाथ आजे पावन थशे...मारुं जीवन आज धन्य बनशे!