: ३६ : आत्मधर्म : वैशाख : २४९६
२. मंगल वधाई आज छे...तीर्थंकर अवतार छे.
३. दर्शन आनंदकार छे...ए जगना तारणहार छे.
४. ए ज्ञानानंद दातार छे...ज्ञानना भंडार छे.
५. ए त्रण ज्ञानथी शोभे छे...ए त्रिकाळ मंगळ जीव छे.
६. ए चार गति छोडावे छे...पंचम पद पमाडे छे.
७. आनंद मंगळ आज छे...देवोनां वाजां वागे छे.
८. अयोध्या तीर्थधाम छे...ज्यां आदिनाथ अवतार छे.
९. तीर्थंकर भगवानना अवतारने लीधे आपणा आ स्वर्गलोकनी शोभा करतां
पण आजे अयोध्या नगरीनी शोभा वधी गई छे.
१०. अहा, आजे तो धर्मना अंकुरा फूटया छे...रत्नत्रयना बगीचा खील्या छे.
आखी पृथ्वी सुखमय बनी गई छे.
११. भगवाने पूर्वे आठमा भवे मुनिवरोने आहारदान दीधुं हतुं अने
भोगभूमिमां सम्यग्दर्शन पाम्या हता.
१२. अहा, सम्यग्दर्शननो प्रताप कोई अनेरो छे.
१३. भगवाने सम्यग्दर्शनने ज धर्मनुं मूळ कह्युं छे.
१४. तीर्थंकरनो अवतार अनेक जीवोने सम्यक्त्वनुं कारण थाय छे.
१५. धन्य छे–तीर्थंकरना मातापिता...के जेमने त्यां जगतना तारणहारनो
अवतार थयो.
१६. भगवाननो आ छेल्लो अवतार छे. आ अवतारमां तेओ आत्मसाधना
पूरी करीने परमात्मा बनशे. चालो, आवा भगवाननो मंगल जन्मोत्सव उजववा
जईए.
ए प्रमाणे जिनेन्द्रदेवनो महिमा करतां करतां ईन्द्रो ऐरावत लईने आनंद पूर्वक
जन्मोत्सव उजववा ऐरावत हाथी पर अयोध्यापुरीमां आवी पहोंच्या..त्रण प्रदक्षिणा
करी; बीजी तरफ अयोध्यानगरीमां नाभीराजाना दरबारमां पण ऋषभकुंवरना जन्मनी
मंगल वधाई–आनंद वधाई लईने छडीदार आवी पहोंच्या...नाभीराजाए मंगल
वधाईथी प्रसन्न थईने कह्युं–अहो, तीर्थंकरना जन्मनी वधाई सांभळतां मारा