जिन भगवाननो उपदेश एम छे के–आत्मा खरेखर पोताना निजभावने ज करे
विरुद्ध माने तो ते जिन भगवाननो उपदेश नथी. जडकर्मने आत्मा करे, के आत्माना
भावोने जडकर्म करे–एम भगवाने कह्युं नथी. जीवनुं कर्ताकर्मपणुं स्वतंत्र पोतामां छे,
अजीवनुं कर्ताकर्मपणुं स्वतंत्र पोतामां छे. आवी स्वतंत्रता जाणीने भेदज्ञान करवुं ते
भगवाननो मार्ग छे.
कर्मनी अवस्था जीवे नथी करी, पोतपोताना कारकोथी बंनेनुं स्वतंत्र परिणमन छे.
आत्मा पोताना भावने छोडीने बीजुं कांई पण करतो नथी.
सीमंधर तीर्थंकरनो साक्षात् उपदेश सांभळ्यो हतो, ने भरतक्षेत्रमां सद्धर्मनी महान
वृद्धि करी हती; तेओ भगवाननी साक्षी आपीने कहे छे के–आत्मा पोताना निजभावने
ज करे छे, पुद्गलने करतो नथी–एवा जिनवचनने हे जीवो! तमे जाणो.
होतां नथी, एक ज वस्तुमां कर्ता–कर्म–साधन वगेरे होय छे. आत्माना सम्यक्त्वादि
भावनुं साधन आत्मामां ज छे, तेम आत्माना रागादि विकारी भावोनुं साधन–कर्ता
वगेरे पण आत्मामां ज छे, जड कर्मनुं तेमां कांई ज कर्तव्य नथी. ते ज वखते पुद्गल
कर्मनी अवस्थानुं कर्तापणुं–साधन वगेरे पुद्गलमां ज छे, जीव तेनो कर्ता नथी.–आ
वीतरागी भेदज्ञाननो महा सिद्धांत छे.