पोताने भान थवुं जोईए.
हवे वस्तुमां द्रव्यरूप जे नित्यत्वधर्म छे ते अनित्य एवी पर्यायने करे छे के नथी
द्रव्यस्वभाव छे ते कांई पर्यायस्वभावने करतो नथी. वस्तु पोताना पर्यायस्वभावथी
ज पोते पर्यायरूपे परिणमे छे एटले तेने ते करे छे, अने ते ज वखते द्रव्यस्वभावथी ते
ध्रुव रहे छे; –ध्रुव छे ते पर्यायने करतुं नथी.–आम वस्तु पोते बे स्वभाववाळी छे. तेना
ज्ञानथी प्रमाणज्ञान थाय छे. द्रव्य साथे पर्यायने भेळवीने वस्तुनुं प्रमाणज्ञान थयुं छे.
ते प्रमाणज्ञाने जाणेली यथार्थ वस्तुमां बे भेद पाडो तो एक ध्रुव पडखुं ने बीजुं पलटतुं
पडखुं. तेमां ध्रुव–अंशअपेक्षाए जोतां वस्तु अक्रिय छे. नित्य छे; बीजा अंश अपेक्षाए
जोतां वस्तु उत्पाद–व्ययरूप अनित्य छे, ते पोतानी पर्यायने करे छे. आम बंनेने अभेद
करीने प्रमाणज्ञान कर्युं. छतां तेथी बे नयना (द्रव्य–पर्यायना) ज्ञानने कांई विघ्न
आवतुं नथी. वस्तुनो स्वभाव ज एवो अद्भुत छे के तेना चिंतनमां एकाग्र थतां
अलौकिक शांत परिणाम वडे धर्मध्यान ने शुक्लध्यान थाय छे. वस्तुस्वरूपना चिंतनवडे
वीतरागता थाय छे.
चाल भाई चाल, कर आत्मामां वास