Atmadharma magazine - Ank 322
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: श्रावण : २४९६ आत्मधर्म : २९ :
एकवार माथे सफेद वाळ देखीने राजाना मंत्रीए जाण्युं के हवे वृद्धावस्था आवी
रही छे, माटे हवे आत्मानुं हित करी लउं.–आम विचारी तेणे मंत्रीपणुं मुकी दीधुं ने एक
मुनि पासे दीक्षा लई लीधी. राजाए तेना पुत्रने मंत्री बनाव्यो. कमठ दुष्ट होवाथी तेने
मंत्री न बनाव्यो, पण मरूभूतिने मंत्री बनाव्यो. पोते मोटो छतां पोताने मंत्रीपद न
मळ्‌युं ने नानाभाईने मंत्रीपद मळ्‌युं तेथी कमठना मनमां घणी ईर्षा थती हती.
एक वखत राजा अरविंद बीजा राजा सामे लडवा माटे गयो, त्यारे मंत्री
मरूभूतिने पण साथे लई गयो. राजा अने मंत्री बंने बहार जतां दुष्ठ कमठ पोते ज
जाणे राजा होय तेम वर्तवा लाग्यो, ने प्रजाने हेरान करवा लाग्यो. मरूभूतिनी स्त्री
घणी सुंदर हती, तेने देखीने कमठ तेना उपर मोहित थई गयो. अरेरे, पोताना
नानाभाईनी स्त्री उपर ते मोहित थयो! पापी जीवने विवेक क्यांथी होय? नाना
भाईनी स्त्री ते तो पुत्री समान गणाय, छतां विषयांध जीव तेना उपर पण कुद्रष्टि
करवा लाग्यो. धिक्कार छे एवा विषयोने! तेथी ज शास्त्रो कहे छे के रे जीव! विष जेवा
विषयोने तुं दूरथी ज छोड.
सुंदर स्त्री उपर मोहित थयेलो कमठ एकदम उदास रहेवा लाग्यो, अने तेणे
पोताना मननी वात पोताना एक मित्रने करी. तेना मित्रे तेने खराब काम न करवा
माटे घणुं समजाव्यो; आवां पापकार्योथी जीव नरकमां जाय छे, अहीं पण तेनी निंदा
थाय छे, माटे हे मित्र! तुं मारी शिखामण मान, अने आवा दुष्ट विचारने छोडी दे!
परंतु पापी कमठे तेनी एक पण शिखामण न मानी; अने कह्युं के जो सुंदर स्त्री मने
नहि मळे तो हुं मरी जईश.
अंते मरूभूतिनी सुंदर स्त्रीने कपटपूर्वक तेणे एक फूलवाडीमां बोलावी, अने दुष्ट
कमठे तेनी साथे दुराचार कर्यो. राजा तो बहारगाम हतो, फरियाद कोनी पासे करवी?
केटलाक दिवस पछी, लडाईनुं काम मरूभूति मंत्रीने सोंपीने अरविंद राजा
पोदनपुर गाममां पाछा फर्या अने राज्यनी व्यवस्था संभाळी लीधी. लोको पासेथी
कमठना दुराचारनी वात तेणे सांभळी अने कमठ उपर तेने घणो गुस्सो आव्यो. आवा
अन्यायी माणस मारा राज्यमां शोभे नहीं, एम विचारीने तेने कडक शिक्षा करी; तेने
टको करावी, मोढुं काळुं करी, गधेडा उपर बेसाडीने नगर बहार काढी मुक्यो. पापी
कमठना