Atmadharma magazine - Ank 323
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: ३८ : आत्मधर्म : भादरवो : २४९६
हवे कदाचित् थोडीक विवेकबुद्धि प्रगट करे ने कुदेव–कुगुरु–कुधर्म पासेथी पण
छूटीने साचा वीतरागी देव–गुरु–धर्म पासे आवे, तो त्यां पण ते देव–गुरु शुद्धात्माना
अनुभवनो जे निश्चय उपदेश आपे छे तेने तो ते ओळखतो नथी, ने मात्र
व्यवहारश्रद्धा करीने, खरेखर अतत्त्वश्रद्धाळु ज रहे छे, जोके तेने मिथ्यात्वादिनी मंदता
थई छे ते अपेक्षाए दुःख पण मंद छे, पण सम्यग्दर्शन वडे आत्माना आनंदनो
अनुभव थया वगर दुःख कदी मटे नहि; मंद तीव्र थया करे पण तेनो अभाव न थाय;
माटे सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र सिवाय जीव बीजा जे उपाय करे ते बधा जुठ्ठा छे. साचो
उपाय शुं छे? के वीतराग–विज्ञान, एटले के सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र
अरे, जीवने पोताने प्रत्यक्ष जे दुःख वेदाई रह्युं छे ते पोतानुं दुःख पण जेने न
भासे, तो बीजा तेने कई रीते बतावशे? पोताना परिणाम जोवा जेटली धीरज ने
विशुद्धता होवी जोईए. भाई, जराक धीरो थईने अंतरमां विचार के शास्त्रो जे दुःखोनुं
वर्णन करे छे एवुं दुःख तारामां वेदाय छे के नहि? तारां दुःखने अने दुःखनां कारणोने
जाण, अने तेनाथी छूटवा आ मनुष्यजीवनने धर्मसाधनामां लगाव, तो तने मोक्षसुख
मळशे. मोक्षसुख मनुष्यपणामां ज साधी शकाय छे; पण जो मोक्षसाधनने बदले
विषयोमां ज मनुष्यपणुं गुमावी दईश तो तुं पस्ताईश.
अरे, श्रीगुरु वारंवार समजावे छे पण जीव सम्यक् परिणमन करतो नथी, अंदर
ऊंडो विचार ज करतो नथी. भाई, निजहित केम थाय तेनी तुं विचारणा कर.
मोक्षमार्गप्रकाशकमां पं. टोडरमल्लजी कहे छे के–‘भलुं थवा योग्य होवाथी जीवने एवो
विचार आवे छे के हुं कोण छुं? क्यांथी आवी अहीं जन्म धर्यो छे? मरीने क््यां जईश?
मारुं स्वरूप शुं छे? आ चारित्र केवुं बनी रह्युं छे? मने जे आ भावो थाय छे तेनुं फळ
शुं आवशे? तथा आ जीव दुःखी थई रह्यो छे तो ए दुःख दूर थवानो उपाय शुं छे?
आटली वातनो निर्णय करीने जेथी पोतानुं हित थाय ते ज करवुं’–आम विचारपूर्वक ते
जीव उद्यमवंत थाय छे. अति प्रीतिपूर्वक श्रवण करीने गुरुए कहेला वस्तुस्वरूपने
पोताना अंतरमां वारंवार विचारे छे; अने सत्य स्वरूपनो निश्चय करीने तेमां उद्यमी
थाय छे.....ने आ रीते वीतरागविज्ञान वडे पोतानुं कल्याण साधे छे. माटे हे जीवो!
वीतरागी देव–गुरुनो उपदेश पामीने, पोताना कल्याण माटे साचा आत्मतत्त्वनो
निर्णय करो.