Atmadharma magazine - Ank 323
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: ४० : आत्मधर्म : भादरवो : २४९६
सोनगढ संस्थाना माननीय ट्रस्टी श्री मगनलाल सुरेन्द्रनगरथी गुरुदेव प्रत्ये
भक्तिपूर्वक लखे छे के–आत्मधर्मना ३२२ मा अंकमां ‘जैनमत एटले वस्तुस्वरूप’ ए
लेखमां पूज्य गुरुदेवश्री तरफथी जणाववामां आवेला खुलासा वांची घणो संतोष थयो,
हालमां जे केटलीक गेरसमजुतीओ वर्ती रही छे ते आ खुलासाओ वांचतां जरूर दूर
थशे; साची समज थशे, विखवाद दूर थशे, अने एकबीजा प्रत्ये वात्सल्यभाव पेदा थशे.
कोई पुण्ययोगे पूज्य गुरुदेवश्रीनो जोग मळ्‌यो, सत्य सांभळवा मळ्‌युं. आ लेख वांचीने
मने घणी प्रसन्नता थई छे. पूज्य गुरुदेवश्रीनो महान उपकार छे.
विशेषमां तेओ लखे छे के ते अंकमां ‘स्वभावना महिमानी मधुरी प्रसादी’
मोरबीना भाईश्री कान्तिलाल प्रेमचन्द घडियाळीना धर्मपत्नी श्री कान्ताबेन
ता. २७–८–७० ना रोज हेमरेजनी बिमारीथी स्वर्गवास पामी गया छे. तेमनी
अस्वस्थ तबीयत वखते पण तेओ घरे धर्मश्रमण करता हता; तेओ भद्रिक हता, ने
अवारनवार सत्संगनो लाभ लेता हता.
घाटकोपर मुकामे वसंतबेन नगीनदासना सुपुत्री रंजनबाळा नगीनदास कपासी
ता. २१–८–७० नारोज स्वर्गवास पाम्या छे.
–स्वर्गस्थ आत्माओ वीतरागी देवगुरुधर्मनी उपासना वडे आत्महित पामो.
(आ विभागमां शरतचुकथी कोई समाचार बाकी रही गया होय तो फरीने
लखी मोकलवा सूचना छे.)
* * *
बालविभागना नवा सभ्योनां नाम आवता अंकमां आपीशुं.
केटलाक जिज्ञासुओनां पत्रो आवेल छे, तेमना जवाब हवे पछी आपीशुं.
* * *
आत्मधर्मना जिज्ञासु ग्राहको नवा वर्षनुं लवाजम रूा. चार वेलासर (जैन
स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ, सौराष्ट्र) ए सरनामे मोकली आपे अथवा पोताना
गामना मुमुक्षु मंडळमां भरी आपे, एवी सूचना छे सेंकडो ग्राहकोनुं लवाजम आवी
गयुं छे; बाकीनां सौ दीवाळी पहेलां लवाजम मोकली आपशोजी.