प्रगटे तेनुं नाम सुख अने तेनुं नाम मोक्ष. आवी मोक्षदशा केम प्रगटे? के जीव–
अजीवनी विभक्तीने एटले के भिन्नताने जाणीने, शुद्धआत्माना ध्यान वडे पुण्य–
पापनो परिहार करतां उत्तम वीतरागीसुख प्रगटे छे; आत्मानो आनंद जेने
जोईतो होय तेणे क्रोधादि दोषथी रहित निर्मळ स्वभावने ध्याववो.
नथी तेने ध्यान केवुं? तेथी कहे छे के जिनमतअनुसार जीव–अजीवना यथार्थ
स्वरूपने श्रद्धा–ज्ञानमां ल्ये, अने पछी शुद्ध जीवस्वभावमां एकाग्र थईने पुण्य–
पापनो परिहार करे, ए रीते सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र वडे सुशोभित आत्मा
उत्तमसुखरूप मोक्षने साधे छे.
आत्माने ध्यावे छे. जेने परनी चिंतानो पार नथी तेने स्वनुं ध्यान क्यांथी थाय?
जेनो उपयोग ज परनी चिंतामां रोकायेलो छे तेनो उपयोग आत्मा तरफ क्यांथी
वळशे? माटे कहे छे के निश्चिंत अने निभृत पुरुषो वडे ज आत्मा सधाय छे. परनी
चिंतानो बोजो जेणे ज्ञानमांथी काढी नांख्यो छे, मारा ज्ञानमां परनुं काम नथी,
परनो बोजो नथी, अने क्रोधादि परभावो पण मारा चैतन्य–पिंडमां नथी,–आम
ज्ञानमांथी