Atmadharma magazine - Ank 324
(Year 27 - Vir Nirvana Samvat 2496, A.D. 1970)
(Devanagari transliteration).

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: आसो : २४९६ आत्मधर्म : ३ :
आत्मानी रुचि छोडे छे ने विषयोमां लीन वर्ते छे. आचार्यदेव कहे छे के अरे भाई!
आ भरतक्षेत्रमां अत्यारे पण आत्मानो प्रेम करीने तेनुं धर्मध्यान थाय छे ने तेनुं
अतीन्द्रियसुख प्रगटे छे. ईन्द्रियसुखोनी रुचि छोडीने आत्मानी रुचि कर ने तेनी
सन्मुख थईने तेने ध्याव. श्रावकने पण आत्माना ध्याननो उपदेश कर्यो छे के हे श्रावक!
शुद्धात्मानुं सत्यकत्व प्रगट करीने तेने ध्यानमां ध्यावो.
शुभरागनी क्रियाने धर्म मनावे छे ने आत्माना ध्याननो निषेध करे छे,–ते
जीवने तो रागमां ज अटकवानुं रह्युं, रागरहित शुद्धआत्मानी रुचि ज तेणे तो छोडी
दीधी. आचार्यदेव कहे छे के अरे भाई! रागथी पार एवा शुद्धआत्मानुं निर्विकल्प ध्यान
अने आनंदनो अनुभव अत्यारे थई शके छे,–तेनी तुं ना न पाड! पण होंशथी स्वीकार
करीने अंतर्मुख वळवानो प्रयत्न कर. आवा आत्मानी वात तने आ काळे सांभळवा
मळी, अने तुं तेमां अंतर्मुख न थई शकाय एम कहीने तेनो निषेध करीश तो तने
आत्मानी शुद्धता के आनंद नहीं प्रगटे. ने मोक्षमार्गनो आवो अवसर तुं चुकी जईश.–
माटे आत्मानी रुचि करीने, अने रागादि विषयोनी रुचि छोडीने तुं आत्माना
धर्मध्याननो प्रयत्न कर. धर्मध्यान वगर जीवनी साची श्रद्धा थती नथी, केमके ध्यान वडे
अंतरमां जीवना अनुभव वगर तेनी साची श्रद्धा थाय नहीं. रागमां ऊभो रहीने
आत्मानी श्रद्धा थई शकती नथी एटले के धर्म थई शकतो नथी. भाई, आ काळे तारे
धर्म करवो छे के नहीं?–तो धर्म आत्माना ध्यान वडे ज थाय छे, ने आत्मानुं धर्मध्यान
आ काळे पण थई शके छे. प्रवचनसारमां छेल्ले कहे छे के हे जीवो! अतीन्द्रियज्ञानरूप
ने अतीन्द्रियसुखरूप आत्मा अमे जोरशोरथी बताव्यो, हवे आवा आत्मानो तमे आजे
ज अनुभव करो, अत्यारे ध्यान वडे एवो अनुभव थई शके छे, माटे तमे आजे ज
तेनो अनुभव करो......ध्यानमां तेने ध्यावो.
अरे, पंचमकाळमां आत्मानुं ध्यान न थतुं होय तो आ बधो शुद्धात्मानो उपदेश
कोने आप्यो? ज्ञान–आनंदमय, ईन्द्रियातीत महान पदार्थ आत्मा छे–एम जाणीने
ज्ञानी पोताना अंतरमां तेनुं ध्यान करे छे. निश्चय शुद्धात्माना आश्रये साचुं धर्मध्यान
अत्यारे पण थाय छे. साक्षात् केवळज्ञान अने मोक्ष थाय एवुं ऊंचुं ध्यान
(शुक्लध्यान) अत्यारे अहीं नथी, पण जेनाथी शुद्ध सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र प्रगटे
एवुं निश्चय धर्मध्यान तो अत्यारे पण थाय छे. आवा ध्यान वडे मोक्षमार्गना आराधक
थईने जीवो एकावतारी थई शके छे. अहींथी स्वर्गमां जाय ने पछी