
निर्दयपणे जीवोनी हिंसा करे, मांस खाय, एवा पापी जीवो नरकमां अत्यंत भयंकर
दुःखो भोगवे छे; एकक्षण पण त्यां सुख नथी. हिंसादिमां सुख माननारा जीवो राई
जेटला ईंद्रियसुखनी खातर अनंता मेरु जेटला दुःखने नोतरे छे. नरकमां पडेलो ते जीव
विभंगज्ञानथी पूर्वनां पापोने याद करीने पश्चात्ताप करे छे के अरेरे! पूर्वे क्रोध करतां
पाछुं वाळीने जोयुं नहीं तेथी आ हाल थया. पूर्वे संतोनो उपदेश लक्षमां लीधो नहीं
तेथी हुं महान दुःखमां पड्यो. धन्य छे ते जैनधर्मने–के जे आवा भयंकर पापोथी ने
अज्ञानमांथी जीवोने छोडावे छे. जीव एकलो पाप करे छे ने जीव एकलो ज दुःख
भोगवे छे; अत्यारे मारुं कोई नथी. तेम धर्ममां पण जीव एकलो ज धर्मने साधे छे, ने
एकलो ज अंदरनुं सुख भोगवे छे. –आम अनेक प्रकारे कोईवार अशुभविचारमां ने
कोईवार शुभविचारमां काळ गुमावतां तेणे असंख्यात वरस सुधी सातमी नरकनां
महान दुःखो भोगव्यां.
क्रूर सिंह थयो.
छे, तेथी ते महान तीर्थ छे. ऋषभदेव वगेरे तीर्थंकर भगवंतो अयोध्यामां ज जन्म्या
हता. उत्तम अयोध्यानगरी अनेक जिनालयोथी शोभती हती, ने तेना उपर सुंदर
धर्मध्वज फरकता हता. ऋषभदेव भगवानना ईक्ष्वाकुवंशमां घणां वर्षो पछी
अयोध्यामां वज्रबाहु नामना राजा थया; तेमनी प्रभावती राणीनी कुंखे आनंदकुमारनो
अवतार थयो. आनंदकुमार पोते आत्माना आनंदने जाणतो हतो; ने बीजा जीवोने
पण आनंद आपतो हतो. ते गुणवान, रूपवान अने बळवान हतो, तेनी बुद्धि धर्ममां
स्थिर हती. ते मोटा थतां महा–मांडळिक राजा थयो; आठ हजार राजाओ तेना ताबामां
हता. आवडो मोटो राजा होवा छतां ते धर्मने