चतुष्टयरूपी जे मंगलप्रभात आत्मामां खील्युं ते सदाकाळ
रहेनारुं सुप्रभात छे. नूतन वर्षना मंगलप्रभातनी सर्वोत्तम
चतुष्टयथी भरेलो आत्मा बतावे छे. शक्तिपणे तारा आत्मामां
स्वभावचतुष्टय विद्यमान छे, तेनी सन्मुखतावडे सम्यग्दर्शनादि
सुप्रभात ऊगे छे ने तेना फळमां केवळज्ञानादि अनंत चतुष्टय
प्रगट थाय छे. अहो, जे आत्मामां आवो आनंदमय चैतन्यसूर्य
झगझगाट करतो ऊग्यो ते प्रातःस्मरणीय छे.
सुप्रभात तेने प्रकाशे छे. आ ज्ञानप्रकाश चैतन्यतेजथी झगझगाट करे छे. अहो!
आवा अनंतचतुष्टयस्वरूपे आत्मा प्रगटे ते ज अपूर्व सुप्रभात छे. अनंत दर्शन–
ज्ञान–आनंद–वीर्यरूप चतुष्टयथी ते भरेलुं छे.
पोताने प्रत्यक्ष अनुभवे त्यारे ते चतुष्टय प्रगट थाय छे. आवा चतुष्टयनो स्वामी
आत्मा छे ते धर्मचक्रवर्ती छे; चार गतिनो अंत करीने अनंत चतुष्टयने प्राप्त करे
एवी तेनी ताकात छे, अने ते ज आत्मानुं साचुं साम्राज्य छे.
खील्युं