बधुं तारा ज्ञानस्वभावमां समाय छे. ज्ञानलक्षणथी लक्षित जे आत्मस्वभाव, तेमां ज
तारा बधा धर्मो समाय छे. तारी स्वाधीन निजशक्ति संतो तने देखाडे छे. तारा द्रव्य–
गुण–पर्यायनो कोई धर्म शुभरागवडे के बहारना निमित्तवडे प्राप्त थाय
Atmadharma magazine - Ank 327
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).
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