Atmadharma magazine - Ank 327
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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: १८ : आत्मधर्म : पोष : २४९७
मागशर वद ११ ना उत्तमदिने त्रेवीसमा तीर्थंकरनो अवतार थयो;
बनारसीनगरीमां आनंद छवाई गयो; मात्र बनारसमां नहीं पण त्रणे भुवनमां
आनंद फेलाई गयो.....स्वर्गमां पण एनी मेळे वाजां वागवा मांडया. ईन्द्रे जाण्युं के
भरतक्षेत्रना त्रेवीसमा तीर्थंकरनो अवतार थयो छे, एटले तरत ईंद्रासन परथी
नीचे ऊतरीने भक्तिपूर्वक ए बालतीर्थंकरने नमस्कार कर्या; ने ऐरावत हाथी उपर
बेसीने जन्मोत्सव उजववा आवी पहोंच्या; साथे केटलाय देवोनां विमान आव्या.
कोई देव वाजां वगाडे छे, तो कोई फूल वरसावे छे; पछी नानकडा भगवानने उपर
बेसाडया.....हाथी आकाशमां ऊडयो–ने भगवाननी सवारी मेरूपर्वत उपर पहोंची.
आ सूर्य–चंद्र देखाय छे तेनाथी पण घणे ऊंचे मेरूपर्वत उपर प्रभुनो जन्माभिषेक
कर्यो. ए वखते प्रभुनो दिव्य महिमा देखीने घणाय देवोने सम्यग्दर्शन थयुं. प्रभुजी
तो सदाय देहथी भिन्न आत्माने देखनारा हता, ने तेमनां दर्शनथी बीजा घणाय
जीवोए पण देहथी भिन्न आत्माने ओळखी लीधो. अहा प्रभु! आप तो
जन्मरहित थई गया, ने आपनी भक्तिथी अमारो जन्म पण सफळ थयो; एम
स्तुति करता करता ईंद्र–ईंद्राणी पण आनंदथी नाची ऊठ्या; अने प्रभुनुं नाम
‘पार्श्वकुमार’ राख्युं.
प्रभुना जन्माभिषेक वखते आकाशमांथी पुष्पवृष्टि थवा लागी. आश्चर्य ए छे
के आकाशमां क््यांय फूलझाड तो न हतां छतां पुष्पवृष्टि थती हती! अनंत आकाशने
एम थयुं के–अहा, आ भगवाननुं ज्ञान तो मारा करतांय विशाळ छे! –एटले नम्रीभूत
थईने ते आकाश पुष्पद्वारा प्रभुनी पूजा करतुं हतुं. वळी जेम हुं निरालंबी छुं तेम आ
भगवाननुं ज्ञान पण निरालंबी छे–एम निरालंबीपणाना आनंदथी उल्लसित थईने
पुष्पवृष्टि वडे ते आकाश प्रभुना जन्मोत्सवने उजवतुं हतुं.
जन्माभिषेक वखते उल्लसतो दूध जेवो जळधोध तो एवो हतो के क्षीरसमुद्र ज
जाणे त्यांथी ऊडीने अहीं मेरु उपर आव्यो होय–प्रभुनां दर्शन करवा! अने, नीचे
मध्यभागमां प्रदक्षिणा करी रहेला सूर्य–चंद्र–तारागणो जाणे के प्रभुनां चरणोने सेववा
आव्या हता ने शाश्वत–दीपको वडे प्रभुनी आरति करता हता.
मेरुपर्वत पर पारसकुमारनो जन्माभिषेक कर्या पछी स्तुति करतां ईन्द्र कहे
छे के हे प्रभो! आप तो पवित्र ज छो.....आपने नवडाववाना बहाने खरेखर तो
अमे अमारां ज पापोने धोई नांख्या छे. ईन्द्राणी कहे छे : प्रभो! आपने तेडतां
जाणे हुं मोक्षने ज मारी गोदमां लेती होउं एम मारो आत्मा उल्लसी जाय