पोष : २४९७ आत्मधर्म : २१ :
वैरागी राजकुमारनी ए वात सांभळीने माता–पितानां लोचन आंसुथी
ऊभराई गया......थोडीवार तेओ नीराश थया......पण अंते तेमणे समाधान
कर्युं.......तेओ पण सूज्ञ हता.....तेमणे विचार्युं के पारसकुमार तो तीर्थंकर थवा अवतर्या
छे....संसारना भोग खातर कांई एनो अवतार नथी, एनो अवतार तो आत्माना
मोक्षने साधवा माटे छे. पुत्रमोहने लीधे ज अमने दुःख थाय छे, पण भगवान तो
निर्मोही थईने जगतना घणा जीवोने मोक्षनो मार्ग बतावशे अने अमारे पण ए ज
मार्गे जवानुं छे. आम तेओ पण धर्मभावना सहित उत्तम जीवन वीतावता हता.
पारसकुमार राजवैभव वच्चे रह्या होवा छतां अलिप्त रहीने परम वैराग्यमय
आदर्शजीवन जीवता हता.
एक वखत तेओ वनविहार करवा नीकळ्या; त्यारे एक घटना बनी.
(शुं बन्युं? ते आवता अंकमां वांचशो.)
लक्ष–पक्ष–दक्ष–प्रत्यक्ष
आत्मानो जे परमार्थ स्वभाव सत् छे तेने
लक्षमां लईने तेनो पक्ष करो अने तेमां
दक्ष थईने तेने स्वानुभव–प्रत्यक्ष करो.
आत्मा जुदो छे–
जेम म्यानथी तलवार जुदी छे,
जेम वस्त्रथी शरीर जुदुं छे,
जेम शरीरथी राग जुदो छे,
तेम रागथी आत्मा जुदो छे.