ढंकाई गयो छे एम कह्युं छे. तेनो कांई अभाव नथी थई गयो पण अज्ञानीनी द्रष्टिमां
ते देखातो नथी, तेने तो अशुद्धता ज देखाय छे. सहज एक ज्ञायकभावने देखवा माटे
तो शुद्धनयनी द्रष्टि जोईए. शुद्धनयमां ज एवी ताकात छे के सर्वे अशुद्ध–
Atmadharma magazine - Ank 327
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).
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