Atmadharma magazine - Ank 327
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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: पोष : २४९७ आत्मधर्म : ३१ :
श्रेष्ठ गुणोथी शोभतो एवो जीव–राजा तेने
स्वानुभूतिथी जाण्या वगर सुख थाय नहीं
*
अमदावाद अने हिंमतनगर पछी पू. गुरुदेव कारतक वद अमासे रणासण
रागथी भिन्नता जाणीने, अने चैतन्यस्वभावनी प्रीति करीने तेने साधवा जे
प्रवचनमां समयसार गा. १७–१८ वांचतां राजानी सेवाना द्रष्टांते भगवान
आत्माना श्रद्धा–ज्ञान–आचरण करवानुं समजाव्युं. भाई, मोक्षने माटे प्रथम तो
अंतरमां जीवनुं यथार्थ स्वरूप जाण अने तेनी श्रद्धा कर. जीवने राजानी उपमा