Atmadharma magazine - Ank 327
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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: पोष : २४९७ आत्मधर्म : ४५ :
पर्यायमां देव–मनुष्य वगेरे भिन्न भिन्न पर्यायोरूप अन्य–अन्यपणुं छे;
अशुद्धपर्यायथी जोतां आत्मामां हीनाधिकपणुं थया करे छे, ते दरियाना तरंगनी
पर्यायना भेदथी जोतां आत्मा अनेक गुणना भेदरूप देखाय छे, ज्ञान–दर्शन–
जेम पाणीनो स्वभाव शीतळ छे, अग्निना संगे जे ऊनापणुं वर्ते छे ते तेनो
भगवान आत्मा द्रव्यमां अने पर्यायमां पोताना शुद्ध ज्ञानानंद स्वभावपणे ज
प्रकाशे छे. पर्याय अंतरमां वळीने सामान्यस्वभावमां एकाग्र थई–त्यां शुद्धात्मानी
अभेद अनुभूतिमां ‘सामान्यनो अविर्भाव’ कह्यो छे. आवा अनुभवने जिनशासन
अने धर्म कहेवाय छे. आवा आत्मामां जवुं ते भगवाननो मार्ग छे. भगवाने आ रीते
मोक्षने साध्यो, ने आवो ज मार्ग बताव्यो; ए जिनशासन छे.