ः फागण : २४९७ आत्मधर्म : १९ :
* जगतमां जाणवायोग्य तत्त्वो क््या छे?
* तेमांथी कया तत्त्वोने ग्रहवा ने क््या तत्त्वोने छोडवा?
* जीवने मोक्षसुखनी प्राप्ति केम थाय?
आत्माना सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रवडे मोक्ष थाय छे.
* जीवने पापथी नरक, पुण्यथी स्वर्ग, अने रत्नत्रयरूप वीतरागधर्मथी मोक्ष
मळे छे.
–आवा मोक्षमार्गनो उपदेश भगवाने आप्यो जे मार्गे पोते मोक्ष पाम्या ते ज
भगवानना धर्मदरबारमां स्वयभूं स्वामी वगेरे दश गणधरो हता; ३प०
श्री पारसनाथ तीर्थंकरे ७० वर्ष सुधी देशोदेश विहार कर्यो अने छेवटे
सम्मेदशिखर पर्वत पर पधार्या.