Atmadharma magazine - Ank 329
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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फागण : २४९७ आत्मधर्म : ३१ :
* गतांकमां पूछेल सात प्रश्नोना जवाब *
(आ सात प्रश्नोना जवाब १०० जेटला बाळकोए उत्साहथी लखी
मोकल्या छे, तेमने धन्यवाद! तेमनां नाम आ जवाबना छेडे आप्यां छे.)
(१) एवा जीवने शोधी काढो के जे स्वर्गमां न होय, नरकमां पण न होय, मनुष्यमां
पण न होय, ने तिर्यंचमां पण न होय.
उत्तर:– ते जीव सिद्धभगवान; सिद्धभगवंतो संसारनी चारे गतिथी पार एवी
मोक्षगतिने पाम्या छे. (केटलाक बाळकोए आनो जवाब ‘विग्रहगतिनो जीव’
लख्यो छे, ते बराबर नथी. विग्रहगति पण चारमांथी कोई एक गति ज छे;
जेमके देवमांथी कोई जीव मनुष्यमां आवे ते जीव देवशरीर छोडीने ज्यारे
विग्रहगतिमां होय त्यारे तेने मनुष्यगतिमां गणाय छे.)
(२) आपणे नमस्कार–मंत्रमां जे पंचपरमेष्ठी भगवंतोने नमस्कार करीए छीए,
तेमांथी केवळज्ञानी केटला?
उत्तर:– अरिहंतभगवान अने सिद्धभगवान–ए बे परमेष्ठी भगवंतो केवळज्ञानी छे.
बाकीनां त्रण परमेष्ठीभगवंतो हजी केवळज्ञानी थया नथी पण थोडा वखतमां
केवळज्ञानी थशे.
(३) कोई पण पांच तीर्थक्षेत्रनां नाम आपो–ज्यांथी कोईने कोई जीव मोक्ष पाम्या
होय?
उत्तर:– (१) सम्मेदशिखर (२) चंपापुरी (मंदारगिरि) (३) गीरनार (४)
कैलासगिरि (प) पावापुरी–ए पांच तीर्थक्षेत्रमांथी २४ तीर्थंकरभगवंतों मोक्ष
पाम्या छे. आ उपरांत बीजा तीर्थक्षेत्रो नीचे मुजब छे (–त्यांथी मोक्ष पामनारा
प्रसिद्ध पुरुषोनां नाम कौंसमां लखेल छे.)–