(सातबलभद्र), चूलगिरि–बडवानी (ईंद्रजीत–कुंभकर्ण), सोनागिरि (नंग–अनंग
आदि साडापांचकरोड मुनिराज), चेलणानदीना किनारे पावागिर–उन (सुवर्णभद्रादि ४
मुनिराज), द्रोणगिरि (गुरुदत्तादि मुनिवरो,) मुक्तागिरि (बीजुं नाम मैंढागीरी;
साडात्रण करोड मुनिराज) नैनागिरि–रेशंदीगीरी) वरदत्तादि पांच मुनि), कुंथलगिरि
(देशभूषण–कुलभूषण मुनिराज) गुणावा (गौतमस्वामी), राजगिरि (वीरप्रभुना
अनेक गणधरो तथा जंबुस्वामी?) पटना (सुदर्शन मुनिराज), मथुरा (जंबुस्वामी
विद्युत्चर आदि पांचसो मुनि) शौरीपुर (चारमुनिराज) सिद्धवरकूट (बे चक्री,
दशकामदेव, साडात्रणकरोड मुनि) कुंडलगिर (अंतिम केवली श्रीधरस्वामी), नर्मदा–रेवा
नदीतट (करोडो मुनिवरो), खंडगीरी–उदयगीरी (कलिंगदेश त्यां कोटिशिला
अतिप्राचीन गूफा; जशरथराजाना पुत्रो वगेरे पांचसो मुनि मोक्ष पाम्या छे.) (पू.
गुरुदेव साथेनी तीर्थयात्राना प्रतापे आ बधा सिद्धक्षेत्रोना दर्शन आपणने थई गया
छे.....बाकी छे एक कैलास!)
(४) सौराष्ट्र सहितना गुजरातराज्यमां आवेला चार सिद्धक्षेत्र नीचे मुजब छे–
छे. नेमप्रभुनी दीक्षा तथा केवळज्ञान पण अहीं थया छे, धरसेन आचार्य पण
अहीं बिराजता हता. उदासीन वैराग्यनुं अद्भुत अध्यात्मधाम छे.
(घणाए आबु लखेल छे पण आबु ए कोई सिद्धक्षेत्र नथी, तेमज अत्यारे ते
गुजरात राज्यमां पण नथी.)