Atmadharma magazine - Ank 329
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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: ३२ : आत्मधर्म : फागण : २४९७
शत्रुंजय (पांडवभगवंतो), तारंगा (वरदत्त–सागरदत्तमुनि), पावागढ (लव–
कुश), मांगी–तुंगी (भगवान रामचंद्र–हनुमान वगेरे ९९ करोड), गजपंथा
(सातबलभद्र), चूलगिरि–बडवानी (ईंद्रजीत–कुंभकर्ण), सोनागिरि (नंग–अनंग
आदि साडापांचकरोड मुनिराज), चेलणानदीना किनारे पावागिर–उन (सुवर्णभद्रादि ४
मुनिराज), द्रोणगिरि (गुरुदत्तादि मुनिवरो,) मुक्तागिरि (बीजुं नाम मैंढागीरी;
साडात्रण करोड मुनिराज) नैनागिरि–रेशंदीगीरी) वरदत्तादि पांच मुनि), कुंथलगिरि
(देशभूषण–कुलभूषण मुनिराज) गुणावा (गौतमस्वामी), राजगिरि (वीरप्रभुना
अनेक गणधरो तथा जंबुस्वामी?) पटना (सुदर्शन मुनिराज), मथुरा (जंबुस्वामी
विद्युत्चर आदि पांचसो मुनि) शौरीपुर (चारमुनिराज) सिद्धवरकूट (बे चक्री,
दशकामदेव, साडात्रणकरोड मुनि) कुंडलगिर (अंतिम केवली श्रीधरस्वामी), नर्मदा–रेवा
नदीतट (करोडो मुनिवरो), खंडगीरी–उदयगीरी (कलिंगदेश त्यां कोटिशिला
अतिप्राचीन गूफा; जशरथराजाना पुत्रो वगेरे पांचसो मुनि मोक्ष पाम्या छे.) (पू.
गुरुदेव साथेनी तीर्थयात्राना प्रतापे आ बधा सिद्धक्षेत्रोना दर्शन आपणने थई गया
छे.....बाकी छे एक कैलास!)
(४) सौराष्ट्र सहितना गुजरातराज्यमां आवेला चार सिद्धक्षेत्र नीचे मुजब छे–
१. गीरनार (जुनागढ) ज्यांथी बावीसमा तीर्थंकर नेमनाथ भगवान तथा
श्रीकृष्णना पुत्रो शंबुकुमार वगेरे बौंतेरकरोड ने सातसो मुनिवरो मोक्ष पाम्या
छे. नेमप्रभुनी दीक्षा तथा केवळज्ञान पण अहीं थया छे, धरसेन आचार्य पण
अहीं बिराजता हता. उदासीन वैराग्यनुं अद्भुत अध्यात्मधाम छे.
२. शत्रुंजय (पालीताणा) ज्यांथी युधिष्ठिर–भीम–अर्जुन ए त्रण पांडवभगवंतो
सहित आठकरोड मुनिवरो मोक्ष पाम्या छे.
३. तारंगा (महेसाणा थईने जवाय छे) त्यांथी वरदत्त–सागरदत्त आदि साडात्रण
करोड मुनिवरो मोक्ष पाम्या छे. अति रमणीय धाम छे.
४. पावागढ (चांपानेर; वडोदराथी वीस माईल छे.) त्यांथी रामचंद्रजीना पुत्रो
लवकुश अने लाटदेशना राजा वगेरे पांचकरोड मुनिवरो मोक्ष पाम्या छे.
(घणाए आबु लखेल छे पण आबु ए कोई सिद्धक्षेत्र नथी, तेमज अत्यारे ते
गुजरात राज्यमां पण नथी.)