पूर्ण ज्ञानरूप होय, तेमां वच्चे रागनी आडश न होय. एम आनंदशक्तिनो विकास
अनंत आनंदरूप छे; श्रद्धा पोताना अनंत स्वभावने स्वीकारवानी अनंत ताकातवाळी
छे. ज्ञानस्वरूप आत्मानो कोई परम अद्भुत विलास छे, के जेना विकासमां कोई
संकोच नथी. एकवार विकास थया पछी फरीने कदी तेमां संकोच थतो नथी. आवा
अद्भुत आत्मवैभवने लक्षमां ल्ये तो जगतमांथी महिमा ऊडी जाय ने तेमां सुखबुद्धि
छूटी जाय. हे जीव! तने आवा निजवैभवनो करियावर आपीने संतो मोक्षमां तेडी जाय
छे. तारा आवा सतनो स्वीकार कर! तारामां छे तेनो विश्वास करीने तेमां लक्ष कर.
एटले तारी शक्ति निर्मळपणे खीली ऊठशे.