Atmadharma magazine - Ank 330
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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: १० : आत्मधर्म : चैत्र : २४९७
कायरनुं काम नथी; रागनुं आलंबन लेवा मांगे ते तो कायर छे, ते मोक्षने साधी शके
नहीं. आ तो राग वगरनो वीतरागनो मार्ग छे.
* चैतन्य–हंसलाने पुण्य–पापरूपी कांकरानो खोराक न होय. ए तो
भेदज्ञानरूपी चांचवडे साचा मोतीना चारा चरनारो छे. अतीन्द्रिय आनंदनो पिंड
आत्मा तेमां विकारनुं वेदन नथी. विकारना वेदनथी सिद्ध नथी थवातुं, विकारथी जुदा
स्वभावने भेदज्ञान वडे जाणीने, ज्ञानस्वभावना वेदन वडे सिद्ध थवाय छे.
* ज्ञानमांथी विकारनुं कर्तृत्व छोडे त्यारे ज सम्यग्ज्ञान अने मोक्षमार्ग थाय छे.
ते जीव ज्ञाननो कर्ता अने विकारनो अकर्ता थईने मोक्षने साधे छे.
* रागना कारणथी जीवने शुद्धता थती नथी; रागनो–व्यवहारनो आश्रय छोडे
ने स्वभावनो आश्रय करे त्यारे ज शुद्धता थाय छे.
* जे चीज पोतामां नथी ने पोते जेनामां नथी, तेनुं कार्य पोतानुं मानतां जीव
पोताना आत्मानुं साचुं कार्य (भेदज्ञान) करी शकतो नथी. स्व–परने बराबर भिन्न
जाणे त्यारे ज आत्माना अनुभवथी जीवने भेदज्ञान थाय छे, अने त्यारे ज धर्म थाय
छे.
जय जिनेन्द्र
I
जैन विद्यार्थी गृह–सोनगढ
सोनगढ–जैन विद्यार्थी गृह तरफथी जणाववामां आवे छे के ता. १प–६–७१ थी
आ जैन बोर्डिंगनुं नवुं वर्ष शरू थाय छे. धोरण प थी ११ सुधीना विद्यार्थीओने दाखल
करवामां आवे छे: मासिक पूरी फी रूा. ४०ा– तथा ओछी फी रूा. २पा– छे. स्कुलना
शिक्षण उपरांत धार्मिक शिक्षण अने पूज्य श्री कानजीस्वामीना प्रवचनादिनो पण लाभ
मळे छे. जे विद्यार्थीने दाखल थवा ईच्छा होय तेणे पंदर पैसानी पोस्टनी टिकिट बीडीने
नीचेना सरनामेथी प्रवेश फोर्म मंगावी लेवा अने ता. २०–प–७१ सुधीमां मोकली देवा.
–जैन विद्यार्थी गृह सोनगढ (सौराष्ट्र)