
आत्मा ज छे, बीजुं कोई मारा मोक्षनुं कारण नथी. पोताना आत्मामां जेणे पूर्णता देखी
ते पोताना सिवाय बीजानो आशरो केम ल्ये! जे बीजाना आश्रये मोक्षनुं साधन करवा
मांगे छे तेणे पोताना पूर्ण स्वभावने जाण्यो ज नथी; पूर्ण स्वभाव जाणे ते बीजा पासे
भीख मांगे नहीं, पराश्रये मोक्षमार्ग माने नहीं. रागनो एक कणियो पण सारो माने
तो राग वगरना स्वभावने तेणे मान्यो नथी. शुद्ध आत्मानी उपलब्धि शुद्ध आत्माना
ज आधारे छे. माटे हे जीव! आवा स्वाश्रित जिनमार्गने पामीने तुं तारी बुद्धिने
पोताना शुद्धात्मामां जोड; पराश्रयनी बुद्धिने तोड अने अंतर्मुख थईने शुद्धरत्नत्रयमां
तारा आत्माने जोड. भगवाननो मार्ग तो निजात्मामां ज एकाग्र थवानो छे. परना
आश्रये राग थाय तेने कांई भगवाने मोक्षनो उपाय कह्यो नथी. अंतरमां रागादिथी
पार एवुं जे पोतानुं सहज परम चैतन्य तत्त्व, तेमां एकाग्र थतां परम शांत चैतन्य
वीतरागरस अनुभवाय छे ने ते ज मोक्षनो उपाय छे. बधाय तीर्थंकर भगवंतोए
आचरेलो अने उपदेशेलो एवो आ एक ज स्वाश्रित मोक्षमार्ग छे.
रत्नत्रय मार्गने आराधो, अने बीजा पराश्रितभावोने छोडो, आवा स्वाश्रित
मोक्षमार्गथी विपरीत जे कोई भावो छे ते छोडवा योग्य छे. आवो वीतरागी मोक्षमार्ग
ते ज खरेखर सारभूत छे, ने ते मोक्षार्थी जीवे चोक्कस करवा जेवुं कर्तव्य छे. वच्चे
व्यवहार अने पराश्रय आवी जाय ते कांई सारभूत नथी, मोक्षने माटे ते कांई कर्तव्य
नथी; मोक्षनो मार्ग तेनी अपेक्षा वगरनो छे. अहो, परम वैराग्य परिणतिरूप, अने
सर्वथा अंतर्मुख एवो मोक्षनो मार्ग भगवाने कह्यो छे, ते ज मार्ग साधीने
वीतरागमार्गी संतोए आ परमागमोमां प्रसिद्ध कर्यो छे. आवा मार्गनुं श्रवण करवुं ते
पण महान भाग्य छे, अने आत्मामां आ मार्गनो निर्णय करतां तो मोक्षना दरवाजा
खुली जाय छे; तेनुं फळ आत्माना पूर्णानंदना अनुभवरूप मोक्ष छे.