हृदयमां परम भक्ति वहे छे. ए भक्तिने लीधे अमने सुबुद्धि प्रगटी छे ने कुबुद्धि दूर
थई गई छे; एटले के भगवाने आत्मानुं जेवुं शुद्धस्वरूप बताव्युं तेना अनुभवथी
सम्यग्ज्ञानरूप सुबुद्धि प्रगटी छे. जुओ, आत्मानुं ज्ञान थाय ते ज साची सुबुद्धि छे,
एना वगरनां बधां भणतर ते तो कुबुद्धि छे, आत्माना हितने माटे ते भणतर काम
आवता नथी.
छे, ने स्वानुभवमां एना श्रद्धा–ज्ञानलोचन स्थिर थाय छे. ते सर्वज्ञना मार्गना परम
बहुमानपूर्वक तेना अनुभवनी पिपासाथी स्थिरचित्ते तेनो प्रयत्न करे छे.
सन्मुख आवे छे, अने बहारमां सर्वज्ञपरमात्मानी सन्मुख थईने तेमनी भक्ति करे छे.
–आवी भक्तिपूर्वक अने अध्यात्मरसना घोलनपूर्वक आ समयसारनाटक–गं्रथ रचाय
छे. तेनुं भावपूर्वक श्रवण करतां शुं थाय छे? के हैयानां फाटक खूली जाय छे ने
ज्ञाननिधान प्राप्त थाय छे.