आवेली वाणी आ समयसारमां छे. जेने आवुं समयसार सांभळवा मळ्युं तेने तो
मोक्षमां जवाना शुकन थई गया. आना भावो समजनार आनंदपूर्वक मोक्षमां जशे.
आ समयसार शास्त्र अने अंदर तेना वाच्यरूप शुद्धआत्मा, ते मोक्षमां जवानी सीडी
छे; जेने आवा समयसारनुं श्रवण मळ्युं ने तेना भावोनी रुचि थई तेने मोक्षमां
जवानी सीडी हाथमां आवी, तेने मोक्षमां जवाना शुकन थई गया; हवे ते जीव कर्मनुं
वमन करीने मोक्षमां गमन करे छे. रागादि भावकर्मोने छोडीने ते आत्माना स्वभावने
साधे छे.
ज्ञानीओ एवा लीन थाय छे के जेम पाणीमां मीठुं ओगळी जाय छे. तेम तेमनी
परिणति अंतर्मुख थईने शुद्ध चैतन्यस्वभावमां ओगळी जाय छे.
सम्यग्दर्शनादि गुणोनो तो आ गांठडो छे, –एना अभ्यासथी सम्यग्दर्शनादि गुणोनो
समूह प्रगटे छे. मुमुक्षुओए अंतरना भावथी शुद्ध आत्माना लक्षे आ समयसारनो
अभ्यास करवा जेवो छे. आ समयसारना अभ्यासनुं फळ उत्तम सुखनी प्राप्ति छे एम
कुंदकुंदाचार्यदेवे पोते छेल्ली गाथामां बताव्युं छे.
तेनो जेणे पक्ष कर्यो ते समयसारनो पक्षी, समयसाररूपी पांखवाळो पंखी, ज्ञानरूपी
आकाशमां निरालंबीपणे विहरे छे–एटले के विकल्पनो पक्ष छोडीने ज्ञानस्वभावनो ते
अनुभव करे छे. समयसारनो पक्ष