Atmadharma magazine - Ank 332
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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: १८ : आत्मधर्म : जेठ : २४९७
आपना प्रश्नोना जवाब
वैशाख सुद बीज निमित्ते रजु करेली आ प्रश्नोत्तरी
योजनामां सर्वे जिज्ञासुओए उत्साह बताव्यो छे. राजकोट
वगेरेमां अनेक जिज्ञासुओए आ विभाग चालु रहे एवी ईच्छा
बतावी छे. ते हमणां दीवाळी सुधी आ विभाग चालु रहेशे.
गतांकमां ६० प्रश्नोना जवाब आवेला हता. आ अंके बीजा प्रश्नो
तथा तेना जवाब आपवामां आवे छे. आप पण आपना प्रश्नो
मोकली शको छो. (सं)
६१ प्रश्न :– रत्नत्रयने केम शोधवा? (पोरबंदर)
उत्तर :– चैतन्य दरियामां डुबकी मारीने.
६२ प्रश्न :– त्रण जातनी क्रिया कई?
उत्तर :– चेतनारूप क्रिया; रागादि विकाररूप क्रिया; अने त्रीजी जडनी क्रिया.
६३ प्रश्न :– ज्ञानीनी क्रिया कई?
उत्तर :– जडथी जुदी ने रागथी रिहत एवी चैतन्यक्रिया ते ज्ञानीनी क्रिया छे, ते
धर्मनी क्रिया छे, ते मोक्षनी क्रिया छे.
६४ प्रश्न :– शास्त्रमां ज्ञान नथी, अने छतां शास्त्रो आत्मा समजावे छे–ए कई रीते?
उत्तर :– शब्दरचनाना समूहरूप जे शास्त्र छे ते पुद्गलनी बनेली छे, तेथी
तेनामां ज्ञान नथी; पण ज्ञानीने पोतानो जे अंतरनो भाव हतो ते तेमणे
वाणी द्वारा व्यक्त कर्यो छे, अने ते वाणीनुं वाच्य जो समजीए तो आपणने
आत्मा जरूर समजाय छे.
६प प्रश्न :– पर्युषणमां आपणे रथयात्रा केम काढीए छीए? (रंजनबेन एम. जैन
वढवाण)
उत्तर :– मात्र पर्युषणमां नहि पण धार्मिक उल्लासना कोईपण प्रसंगे रथयात्रा