Atmadharma magazine - Ank 332
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 24 of 56

background image
: २२ : आत्मधर्म : जेठ : २४९७
गुरुदेव साथे गनयात्रा
(ले. ब्र. हरिलाल जैन)
अमदावादथी जयपुर जतां गुरुदेव साथे विमानमां बेठा बेठा आकाशमां
अगियार हजार फूट जेटली ऊंचाईएथी आ लखाई रह्युं छे. वैशाख वद पांचमनी
बपोरे पू. गुरुदेव साथे अमदावादथी जयपुर जई रह्या छीए. त्रीस मुमुक्षु यात्रिकोने
लईने विमान आकाशमां ऊडी रह्युं छे. विमानने कदाच गौरव थतुं हशे के जेम हुं
गगनमां ऊंचे ऊंचे ऊडुं छुं तेम अंतरना निरालंबी ज्ञानगगनमां ऊडनारा त्रण त्रण
पवित्र संतोनी चरणरज आज मने प्राप्त थई छे! साथे एमना भक्तो मने ए संतोनो
महिमा समजावी रह्या छे.... आवा गौरव पूर्वक विमान तो ऊंचे ने ऊंचे ऊडी रह्युं छे.
नीचे तद्न नानकडी देखाती विशाळ पृथ्वी ज्ञाननी महानताने प्रसिद्ध करी रही छे.
अढीसो माईल जेटली झडपथी गमन थतुं होवा छतां, जाणे अत्यंत धीरे धीरे शांतिथी
प्रवास थतो होय – एवुं ज लागे छे, ते एम बतावे छे के गमे तेटलुं झडपथी काम
करवा छतां ज्ञान पोते शांत अने धीरा स्वभाववाळुं छे – तेमां आकुळता नथी. दुनिया
तो घणी नानी छे, ज्ञान घणुं विशाळ छे.
अहा, गुरुदेव साथे दुनियाथी अत्यंत दूर दूर कोई धर्मनगरीमां जई रह्या
छीए.... एवुं ज लागे छे. अने, मार्गद्रष्टा सन्तो आम ने आम अत्यंत दूर दूर लई
जईने अमने ठेठ विदेहक्षेत्रमां सीमंधर भगवानना दर्शन करावशे के शुं! – एम
विदेहना प्रभुजीना दर्शननी भावना जागे छे.... गुरुदेव साथे मोक्षविहारनी भावना
जागे छे.
अमदावादथी सेंकडो भक्तोए जयजयकार पूर्वक विदाय आपी ने त्रण ने दश
मिनिटे विमान ऊपड्युं त्यारबाद तरत ज गुरुदेव तो पोताना कोई गंभीर चिंतनमां
बेठा छे... ने कोईवार ज्ञानथी भिन्न एवी दुनियानुं द्रश्य विमाननी बारीमांथी देखी
रह्या छे – त्यारे बीजा भक्त यात्रिको तो गुरुदेव साथेनी गगनविहारी यात्राना
हर्षोल्लासमां मग्न बनी रह्या छे, ने हृदयनी भक्ति व्यक्त करवा ईन्तेजार बनी रह्या
छे... पू. बेनश्री – बेननी अद्भुत जोडली पण गुरुदेव साथेना आ गगनविहारी प्रसंगे
विदेहक्षेत्रना मधुर संभारणामां मशगुल देखाय छे.... ने अनेरी भावनामां झुले छे.