वार्षिक वीर सं. २४९७
लवाजम जेठ
चार रूपिया Jun. 1971
* वर्ष २८ अंक ८ *
भगवान महावीरनो २प० मो निर्वाणमहोत्सव
ते निमित्ते पू. कानजी स्वामीना आशीर्वाद
भगवान महावीरनो अढी हजारमो निर्वाण महोत्सव ई. स.
१९७४ मां आखुं वर्ष धामधूमथी सर्वत्र मनाववा माटे जे कमिटि
नीमायेली छे तेनी मिटिंग ता. १९–२० ना रोज जयपुरमां हती; ते
प्रसंगे कमिटिना अध्यक्ष श्री शांतिप्रसादजी शाहुए – निर्वाण महोत्सवनी
रूपरेखा समजावीने तेमां समस्त समाजनो सहकार मांग्यो तथा पू.
कानजीस्वामीना आशीर्वाद तथा मार्गदर्शननी विनति करी, त्यारे गुरुदेवे
आशीर्वाद सहित कह्युं के –
बधा जैनोए भेगा थईने आनंदथी भगवानना निर्वाणनो
उत्सव करवो ते सारुं छे; ते जैनधर्मनी प्रसिद्धिनुं अने प्रभावनानुं कारण
छे. तेमां मतभेद भूलीने सौए साथे आपवो जोईए. जैनना बधा
संप्रदायोए मळीने भगवान महावीरना मार्गनी प्रसिद्धि थाय ते करवा
जेवुं छे; तेमां कोईए विरोध करवो न जोईए. अरस–परस कोई जातना
कलेश वगर सौ साथे मळीने महावीर भगवाननो उत्सव थाय ते तो
सारी वात छे. महावीर भगवानना वीतराग मार्गमां परस्पर कलेश
थाय – एवुं कोईए करवुं जोईए नहीं. जैनोनी संख्या बीजा करतां भले
थोडी होय पण जैन समाजनी शोभा वधे, दुनियामां तेनो महिमा प्रसिद्ध
थाय ने भगवानना उपदेशनी शोभा वधे, दुनियामां तेनो महिमा प्रसिद्ध
थाय ने भगवानना उपदेशनी प्रभावना वधे – तेम करवुं जोईए.
(खास नोंध: – आपणा बालविभागना नाना–मोटा सौ सभ्यो
भाग लई शके एवी एक सुंदर योजना आ निर्वाण – महोत्सवने
अनुलक्षीने तैयार थई रही छे. जे योग्य समये रजु थशे.)
(– ब्र. ह. जैन)