Atmadharma magazine - Ank 332
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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: २ : आत्मधर्म : जेठ : २४९७
भगवान आत्मा निजशक्तिथी उल्लसे छे
राजकोट शहेरमां वीर सं. २४९७ना वैशाख सुद पांचमथी वैशाख वद त्रीज
सुधी समयसारनी ४७ शक्ति उपरनां प्रवचनोमांथी
* सर्वज्ञभगवान कहे छे के हे भाई! तुं आत्मा छो, तारामां सर्वज्ञ – स्वभाव
वगेरे अनंत शक्तिओ छे. ते शक्तिओनुं वर्णन आ समयसारमां कर्युं छे.
अनुभवमां कलम बोळीबोळीने आ समयसारनी रचना थई छे.
* अनंतशक्तिओ आत्मामां एक साथे छे; ते शक्तिमान आत्मद्रव्यने ओळखीने
अनुभवमां लेतां अनंती शक्तिनो स्वाद एक साथे आवे छे, अनंती शक्तिओ
एकसाथे निर्मळपणे परिणमे छे, उल्लसे छे.
* पोतानी अनंतशक्तिओने न ओळखी, ने पोताने रागादि जेटलो मान्यो तेथी
पर्यायमां जीवनी शक्ति बीडाई गई छे, ने दुःखथी ते संसारमां रखडे छे. आ
रीते निजशक्तिनुं अज्ञान ते अधर्म छे.
* पोताना स्वभावनी शक्तिनुं भान थतां रागादिमांथी आत्मबुद्धि ऊडी जाय, ने
स्वभावना अतीन्द्रिय आनंदनो स्वाद अनुभवमां आवे ते धर्म छे, ने ते
मोक्षमार्ग छे.
* अहीं आचार्यदेव कहे छे के हे जीव! तारुं स्वरूप ज्ञान छे, एकलुं ज्ञान नहि पण
ज्ञान साथे अनंतगुणोनुं परिणमन भेगुं छे. सर्वशक्तिमान परमेश्वर तुं ज छो.
* शक्तिओ तो दरेक द्रव्यमां अनंती छे, जडमां पण जडनी अनंती शक्तिओ छे;
पण अहीं ज्ञानस्वरूप आत्मानी शक्तिओनुं वर्णन छे; केमके आत्माना
स्वभावने ओळखवानुं प्रयोजन छे.
* प्रथम जीवत्वशक्ति कहीने आत्मानुं जीवन बतावे छे. आत्मानुं जीवन शेनाथी
टके छे? के चैतन्यमय भावप्राणरूप जीवत्वशक्तिथी आत्मा सदा जीवे छे,
जीवपणे टके छे.