Atmadharma magazine - Ank 332
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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: ३८ : आत्मधर्म : जेठ : २४९७
बालविभागनां नवा सभ्यो
२९०३ अश्विनकुमार चीमनलाल जैन मोरबी
२९०४ कौशीककुमार चीमनलाल जैन
मोरबी
२९०प नीलाबेन चीमनलाल जैन मोरबी
२९०६ प्रशांतकुमार सोमचंद जैन फत्तेपुर
२९०७ वंदनाबेन सोमचंद जैन फत्तेपुर
२९०८ निर्मलाबेन चंदुलाल जैन फत्तेपुर
२९०९ वंदनाबेन चंदुलाल जैन फत्तेपुर
२९१० चंद्राबहेन चंदुलाल जैन फत्तेपुर
२९११ अश्विनकुमार अमृतलाल जैन फत्तेपुर
२९१२ किरिट भोगीलाल जैन
अमदावाद
२९१३ कल्पेश भोगीलाल जैन अमदावाद
२९१४ भावनाबेन भोगीलाल जैन अमदावाद
२९१प राजेन्द्रकुमार वाडीलाल जैन
फत्तेपुर
२९१६ अशोककुमार वाडीलाल जैन फत्तेपुर
२९१७ कमलेशकुमार वाडीलाल जैन फत्तेपुर
२९१८ रमेशचंद्र वाडीलाल जैन फत्तेपुर
२९१९ अश्विनकुमार चंपकलाल जैन जांबुडी
२९२० शशिबाला जैन जयपुर
२९२१ अनिताबेन विपीनचंद्र जैन सुरत
२९२२ प्रीतिबेन विपीनचंद्र जैन सुरत
२९२३ भरतकुमार अमृतलाल जैन फत्तेपुर
२९२४ अनीलकुमार रतिलाल जैन फत्तेपुर
२९२प नरेशचंद्र चीमनलाल जैन अमदावाद
*
वांचको लखे छे :–
• अमे आत्मधर्म नियमित वांचीए छीए.
तेमां पूछाता प्रश्नो बाळको माटे धर्मनुं ज्ञान
पूरुं पाडे छे. अमे पण जिनवरना सन्तान
थवा मांगीए छीए. (अश्विन, मोरबी)
• इंदोरथी तीर्थंकर नामना मासिकना
संपादक श्री नेमिचंदजी जैन लखे छे के
आत्मधर्मके कुछ अंकोको देखनेका
सौभाग्य मिला; ईतने अच्छे प्रकाशनके
लिये मेरा साधुवाद स्वीकार कीजिये.
‘आत्मधर्म’ की आध्यात्मिक जागरणके
क्षेत्रमें एक महत्त्वपूर्ण भूमिका है. और
सबसे अच्छी बात यह है कि वह अपने
ईस कर्तव्यकी ओर सजग और सक्रिय है.
*
• जैनधर्मनी प्रभावनारूप अने जैनधर्मनो
सन्देश आपतुं मासिक आत्मधर्म वांचीने
खूब ज आनंद थाय छे, जैनधर्मनुं रहस्य
गुरुदेवनी कृपाथी जाणवा मळ्‌युं, तेथी
अमोने आत्मधर्म अने जैनधर्मप्रत्ये घणुं
मान थयुं छे. अंक वांच्या वगर अमोने
चेन पडतुं नथी. तो फागण मासनो अंक
तरत मोकली आपशोजी.
(– वसंतलाल चंदुलाल शाह, मुंबई)