: ८ : आत्मधर्म : अषाढ : र४९७
ज्यां ज्यां मुमुक्षुमंडळ होय त्यां सर्वत्र ध्यान आपीने प्रेरणा अने प्रोत्साहन आपी
रह्या छे.
आपणे जेठ सुद आठम सुधी आव्या.... अढार दिवस वीत्या, हवे बे ज
दिवस बाकी रह्या... शिक्षणवर्गोनी परीक्षाओ चालु थई गई... बहारथी आवेला
मुमुक्षुओ हवे जवानी तैयारी करतां करतां जयपुरनी यादी माटे चीजवस्तुनी खरीदी
करवा लाग्या. जैनपुरी जयपुरमां जेम अनेक जिनबिंबो बिराजे छे तेम, भारतमां
नवा प्रतिष्ठित थता जिनबिंबोनो मोटो भाग पण जयपुरमां ज बने छे; ए
वीतरागी जिन मूर्तिओनो मोटो संग्रह पण जोवा लायक छे.... एक साथे सेंकडो –
हजारो जिनबिंबो जोतां प्रसन्नता थाय छे. जयपुरना घणा मंदिरो झवेरी बजारनी
आसपास आवेलां छे. बडा मंदिर, दीवानजीका मंदिर, ढोलियानमंदिर,
चोवीसीमंदिर, खानीयामंदिर वगेरे अनेक मंदिरो दर्शनीय छे. गुरुदेव साथे ए
मंदिरोनां दर्शन करतां आनंद थतो हतो.
१प२ गामना साधर्मी मुमुक्षुओए उत्साहथी मंदिरो जोया, उत्साहथी
प्रवचनो सांभळ्या, उत्साहथी एकबीजाने मळ्या, उत्साहथी शिक्षणवर्गमां भण्या, ने
उत्साहथी परीक्षाओ पण आपी; हवे शिक्षणवर्गमां पास थवानुं प्रमाणपत्र तथा
ईनाम लेवाना प्रसंगे तो उत्साह होय ज.... अने ते पण गुरुदेवना सुहस्ते लेवानो
प्रसंग एटले विशेष उल्लास हतो.
जेठ सुद नोमनी रात्रे शिक्षणवर्गना प्रमाणपत्रोनी वहेंचणी थई; कोई B.A.
कोई M.A. कोई एन्जीनीयर, कोई न्यायाधीश – एम अनेकविध लौकिक विद्यानी
ऊंची पदवी धरावनारा युवान भाई – बहेनो ज्यारे प्रमाणपत्र लेवा ऊभा थता
त्यारे तेमना मुख पर एवो अहोभाव देखातो हतो के अमारा लौकिकभणतर करतां
आ अलौकिक वीतरागी तत्त्वज्ञान ज जीवनमां खरूं उपयोगी छे. भाईओने
प्रमाणपत्रो तथा ईनामना पुस्तको पू. गुरुदेवना सुहस्ते अपाता हता; ने बहेनोने
प्रमाणपत्रो तथा पुस्तको पू. बेनश्री –बेनना सुहस्ते अपाता हता.
गामेगामना युवा सुशिक्षित उत्साही जिज्ञासुओए जे रीते उत्तम संस्कारथी
धार्मिक शिक्षणमां भाग लीधो एटलुं ज नहि, पोतपोताना गाममां आवा वीतराग
विज्ञाननो प्रचार करवा माटे जे तमन्ना धरावी रह्या छे, ते जैनशासनने माटे महान
उन्नतिनी निशानी छे; ने ते देखीने आनंद थाय छे, सर्वत्र तात्त्विक विचारनी
एकतानुं सुंदर वातावरण हतुं, सौ पोत पोतानी ज्ञानसाधनामां ज मशगुल हता,