Atmadharma magazine - Ank 333
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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: अषाढ : र४९७ आत्मधर्म : ७ :
राजस्थाननी राजधानी हतुं ने त्यारबाद जयपुर शहेर रचायुं छे. ते सांगानेरमां छ
सात प्राचीन विशाळ जिनमंदिरो छे ने तेमां सेंकडो मूर्तिओ बिराजमान छे; ते पण
दर्शनीय छे. आ उपरांत जुनी राजधानी आमेरमां पण प्राचीन जिनमंदिरो दर्शनीय छे.
जेठ सुद आठमनी रात्रे टोडरमल – स्मारक भवनमां विद्वानोनुं तेमज गामे
गामना मुमुक्षु– साधर्मीओनुं एक संमेलन पू. गुरुदेवनी मंगल छायामां थयुं हतुं;
भाई श्री खीमचंदभाई जे. शेठनी अध्यक्षतामां १प२ गामना मुमुक्षुओए अध्यात्म
तत्त्वज्ञानना खूबज प्रचार माटे क्रांतिकारी आंदोलनना सुंदर विचारो रजु कर्यां हता.
बधा ज वकताओए ‘आत्मधर्म’ मासिक द्वारा पू. गुरुदेवनो अध्यात्मसन्देश मळे छे
तेनी प्रशंसा करी हती, अने ‘आत्मधर्म’ प्रत्ये पण खूब ज लागणी बतावीने तेना
वधारे विकासनी भावना व्यक्त करी हती. आत्मधर्म प्रत्ये भारतना जिज्ञासुओने
केटलो आदर तथा केटली ऊंडी लागणी छे, अने तेना द्वारा भारतमां केटलो महान
प्रचार थई रह्यो छे ते देखीने आश्चर्य थतुं हतुं. सोनगढमां बेठा बेठा आपणने
ख्याल पण न हतो के गुरुदेवनो केटलो बधो अध्यात्मप्रभाव भारतमां फेलाई रह्यो
छे, – ते अहीं जयपुरमां नजरे जोवा मळ्‌युं छे.
आ प्रसंगे राजस्थान जागी ऊठयुं; मध्यप्रदेश तो जागेलो ज हतो, त्यां तो
सागरवाळा शेठ श्री भगवानदासजीनी अध्यक्षतामां मध्यप्रदेशीमुमुक्षुमंडळ द्वारा
सुव्यवस्थित सुंदर प्रचारकार्य चाली रह्युं छे; आ प्रसंगे उत्तर प्रदेश पण जागृत बन्यो ने
उत्तर प्रदेशीय मुमुक्षुमंडळनी स्थापना करीने संगठित प्रचार माटे योजना विचारवामां
आवी; दक्षिण प्रदेशमांथी पण उत्साही युवान तत्त्वप्रेमी कार्यकरो जाग्या छे, छ भाईओ
जयपुर आवेला, ने कन्नड भाषामां प्रचार माटे तमन्ना बतावी हती. जैनबाळपोथी
वगेरे साहित्य कन्नड भाषामां प्रकाशित करीने शेठ श्री जागुराजजी तरफथी प्रचार
करवामां आव्यो छे. (जिज्ञासुओने जाणीने आनंद थशे के कन्नड – आवृत्तिना प्रकाशननी
साथेसाथे जैनबाळपोथीनी कुल प्रत ‘एकलाख’ नो आंकडो वटावी गई छे; जैन
साहित्यमां अत्यारे कदाच आ पहेलुं ज पुस्तक छे के जेनी एकलाख उपरांत प्रतो प्रकाशित
थई होय.) आम भारतनी चारे दिशामां गुरुदेवना प्रतापे वीतरागी तत्त्व ज्ञाननुं
जोरदार आंदोलन प्रसरी रह्युं छे... ज्ञान प्रचारनी मोटी भरती आवी छे. साथे साथे
आपणा सुयोग्य प्रमुखश्री नवनीतलालभाई झवेरी पण ज्ञानप्रचारनी खूब भावना
धरावे छे, अने मात्र सोनगढ – संस्थामां ज नहि परंतु भारतना बधा भागोमां