: अषाढ : र४९७ आत्मधर्म : ३७ :
अने अत्यारे तेओ क्षायिक सम्यग्दर्शन सहित चोथा गुणस्थानमां
बिराजे छे. ८१प०० वर्ष पछी तेओ आ भरतक्षेत्रमां तीर्थंकरणपणे
अवतार लेशे, ने ते ज भवे मोक्ष पामशे. गतिअपेक्षाए तेओ
अत्यारे नरकमां छे, पण सम्यक्त्वसहित छे ने तीर्थंकरप्रकृति बांधी
रह्या छे, तेथी एक भवे मोक्ष पामशे. नरकमां जवानुं कारण ए छे के
पहेलांं अज्ञानदशामां तेमणे जैनमुनिराजनी मोटी विराधना करी हती.
दुनियामां गमे त्यां होय – मुमुक्षु जीव पोताना
आत्महितना ध्येयने कदी भूलतो नथी,
के ढीलुं करतो नथी.
बोटाद मुमुक्षु मंडळना एक सभ्य भाईश्री दामोदरदास सुखलाल कामदार
(उ. व. ६२) वैशाख वद दशमना रोज स्वर्गवास पाम्या छे.
मोरबीना भाईश्री मणिलाल तथा चंदुलाल त्रिभुवनदास घडियाळीना मातुश्री
समरतबेन (उ. ८२) जेठ सुद ११ना रोज मुंबई मुकामे स्वर्गवास पाम्या छे.
लींबडीना रहीश भाईश्री मणिलाल काळीदास (तेओ रमणीकभाई संघवीना
पिताश्री (उ. व. ८०) राजकोट मुकामे ता. १३–६–७१ ना रोज स्वर्गवास पाम्या छे.
वींछीयाना भाई श्री शांतिलाल जीवराज वोराना सुपुत्र शशीकांत, मात्र १६
वर्षनी युवानवयमां सातदिवसनी मांदगीथी जेठवद बीजना रोज स्वर्गवास
पामी गया छे. (तेओ बालविभागना सभ्य हता ने धार्मिक प्रवृत्तिमां
उत्साहथी भाग लेता हता. आपणा रिवाज मुजब बालविभागना सभ्यो
आ समाचार वांचो त्यारे नववार नमस्कारमंत्रनो जाप करशो.)
स्वर्गस्थ आत्माओ वीतरागी देव–गुरु–धर्मनी उपासना वडे आत्महित पामो.
(वैराग्यसमाचारमां छापवा माटेना लेखित समाचार एक मासमां सीधा
संपादकने मळी जवा जरूरी छे. विशेष जुना के मौखिक समाचारो स्वीकाराता नथी.)