: अषाढ : र४९७ आत्मधर्म : ३९ :
(नवा सभ्योनां नाम)
२९२६ हर्षाबेन बी. जैन कलकत्ता
२९२७ दिनेशकुमार नानचंद जैन मालावाडा
२९२८ प्रवीणचंद नटवरलाल जैन मालावाडा
२९२९ हंसाबेन हिंमतलाल जैन सणीया (हेमाद)
२९३० अंजनाबेन नंदलाल जैन सुरत
२९३१ वीणाबेन सुरेशचंद्र जैन मुंबई
२९३२ स्मीताबेन सुरेशचंद्र जैन मुंबई
२९३३ आरतीबेन सुरेशचंद्र जैन मुंबई
२९३४ टीनुभाई सुरेशचंद्र जैन मुंबई
२९३प जयश्रीबेन महेन्द्रलाल जैन दाहोद
२९३६ जितेन्द्रकुमार महेन्द्रलाल जैन दाहोद
२९३७ प्रसन्नकुमार महेन्द्रलाल जैन दाहोद
२९३८ भारतीबेन वसंतकुमार जैन जामनगर
२९३९ किशोरकांत वसंतकुमार जैन जामनगर
२९४० सुशीलाबेन वसंतकुमार जैन जामनगर
२९४१ चीमनलाल रमणीकलाल जैन जामनगर
२९४२ सुमनकुमारी बी। जैन कलकत्ता
२९४३ भारतीबाला बी। जैन कलकत्ता
२९४४ किशोरकुमार प्रभुदास जैन प्रतापरा
२९४प विनोदकुमार मदनलाल जैन लोहारदा
२९४६ मंजुलाबेन मदनलाल जैन लोहारदा
२९४७ पवनकुमार मदनलाल जैन लोहारदा
२९४८ राजेन्द्रकुमार मदनलाल जैन लोहारदा
२९४९ सोनलबेन हसमुखलाल जैन वढवाण
२९प० महेशकुमार मणिलाल जैन भद्रावड
२९प१ प्रवीणचंद्र त्रिभुवनदास जैन मुंबई – ७७
धर्मना जिज्ञासु कोई पण भाई – बेन आ विभागमां सभ्य थई शके छे.
सभ्य थवा माटे पूरुं नाम – सरनामुं, उंमर, अभ्यास तथा जन्मदिवस लखी
मोकलवा. कांई प्रवेशफी नथी. आपना जीवनमां उत्तम संस्कार रेडीने आत्महितनी
प्रेरणा मेळवो – ए ज उद्देश छे.
सरनामुं – आत्मधर्म – बालविभाग, सोनगढ (सौराष्ट्र)
जुनागढनो पत्र –
जुनागढथी भाईश्री गोकळदास करशनजी (ते राजुलाबेनना पूर्वभवना
पिताजी) लखे छे के अमे राजकोट पू. स्वामीजी पासे दर्शन करवा आवेल त्यारे
स्वामीजी पासेथी जैनबाळपोथी, जीवनपरिचय अने आत्मसिद्धिप्रवचनो नामक
पुस्को मळेल; जे वांचीए छीए. पुस्तको खूब ज सरस छे, ने स्वामीजीनी वाणी
जीवनमां उतारवा लायक छे. उपरोक्त पुस्तको वांची अहींना अमारा संबंधी जैन
भाईओने पण वांचवा मोकलुं छुं. आपनां प्रकाशनो खूब ज – खूब ज सरस अने
दिव्य वाणीथी रसभर छे. मोकलता रहेशो. सोनगढ आववा विचार छे.