Atmadharma magazine - Ank 333
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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: ४० : आत्मधर्म : अषाढ : र४९७
अशोकनगरमां ता. २६–६–७१ थी १०–७–७१ सुधी जैन शिक्षणशिबिर–
समारोहनुं भव्य आयोजन करवामां आव्युं छे.
मध्यप्रदेशमां भोपाल विदिशा अशोकनगर वगेरेमां पं. ज्ञानचंदजी जैन वगेरे
विद्वानो द्वारा सारो तत्त्वप्रचार चाली रह्यो छे. तत्त्वजिज्ञासुओ जागृत थया छे;
तेमज तत्त्वप्रचार माटे पोतानो अधिक समय आपी रह्या छे.
सोनगढमां श्री परमागममंदिरनी छत भरवानुं काम अषाढ सुदछठ्ठना रोज शरू
थयुं छे. अने अषाढ मासनी चालु अष्टाह्निका दरमियान श्री जिनेन्द्र–
सहस्त्रनाम मंडलविधान पूजन आनंदपूर्वक चाली रह्युं छे. आ पूजनविधान
भाईश्री वृजलालभाई तथा हिंमतलालभाई जे. शाह तरफथी कराववामां आवे
छे. आ अगाउ दश वर्ष पहेलांं वीर सं. २४८७ मां पू. बेनश्री – बेन तरफथी
पण जिनेन्द्र सहस्त्रनाम मंडलविधान पूजन थयुं हतुं, जे पहेली ज वार थतुं
होवाथी घणो उल्लास हतो; तेनो आनंदकारी अहेवाल आप ‘सुवर्णसन्देश’ ना
अंक २ अने ३ मां वांची शकशो.
ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञा
भोपालना विद्वान भाईश्री हेमचंदजी जैन (ईजनेर) – तेमणे जयपुरमुकामे
जेठ सुद त्रीजना रोज पू. गुरुदेव समक्ष आजीवन ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञा अंगीकार
करी छे. तेओ पचीस वर्षना सुशिक्षित युवान छे, बालब्रह्मचारी छे ने शास्त्रना
अभ्यासी छे; ज्ञानप्रचारनो तेमने घणो प्रेम छे. अवारनवार सोनगढ आवीने
लाभ ल्ये छे. आ शुभकार्य बदल तेमने धन्यवाद!
धार्मिक शिक्षणवर्ग तथा पर्युषण पर्व
सोनगढमां दरवर्षनी माफक जैनभाईओ माटेनो श्रावणमासनो धार्मिक शिक्षण
वर्ग श्रावण सुंद पांचमने मंगळवारथी शरू करीने वीस दिवस सुधी चालशे.
त्यारबाद श्रावण वद १३ ने बुधवारथी शरू करीने आठ दिवसो खास
प्रवचनना दिवसो तरीके गणाशे, अने भादरवा सुद पांचम ने गुरुवारथी
भादरवा सुद चौदश सुधीना दश दिवसो दसलक्षणी पर्व तरीके उजवाशे.