Atmadharma magazine - Ank 334
(Year 28 - Vir Nirvana Samvat 2497, A.D. 1971)
(Devanagari transliteration).

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: ३० : आत्मधर्म : श्रावण : २४९७ :
* आपना प्रश्नोना जवाब *
बाळको तथा जिज्ञासुओ तरफथी आवेला प्रश्नोमांथी ८०
प्रश्नो तथा तेना जवाब गतांकमां आपेल छे; विशेष प्रश्नो तथा तेना
जवाबो अहीं आपीए छीए. जिज्ञासुओ आ विभागमां सारो रस
लई रह्या छे. (आप पण आपना प्रश्नो मोकली शको छो.) –स.
(८१) प्रश्न:–पर्युषण एटले शुं? ते शा माटे अने क्यारथी उजवाय छे?
(शारदाबेन जैन–जामनगर)
उत्तर:–आत्माना क्षमा वगेरे वीतरागी धर्मोनी सर्व प्रकारे उपासना करवी
तेनुं नाम पर्युंषण छे; एटले आत्माने ओळखीने सम्यग्दर्शन–ज्ञान–
चारित्ररूप जेटलो वीतरागभाव करीए तेटला पर्युषण तो आत्मामां
सदाय छे. –आ ‘भाव–पर्युषण’ छे. आवा भावपर्युषण करी–करीने
जीवो अनादिकाळथी मोक्षमां जाय छे.
काळअपेक्षाए वर्षमां त्रण वखत पर्युषण आवे छे. माह चैत्र
अने भादरवो ए त्रणे मासमां सुद पांचमथी चौदश सुधीना दश
दिवसोने पर्युषणना दिवसो (अर्थात् उत्तमक्षमादि दश धर्मना दिवसो)
गणाय छे. अनादिथी आ पर्व चाले छे.
पर्युषण वगेरेना उत्तम दिवसो तो अनादिकाळथी आवे छे ने
जाय छे, तेमां ज्यारे जीव पोतामां सम्यग्दर्शनादि वीतरागी धर्मनी
उपासना करे त्यारे ज तेने धर्मनो लाभ थाय छे. धर्मवडे
काळीचौदशनी राते पण जीव मोक्ष पामी शके छे. (महावीर भगवान
पण काळीचौदशनी राते ज मोक्ष पधार्या हता, तेथी ते महान कल्याणक
दिवस गणाय छे.) अने धर्म न करनारा ने तीव्र पापो करनारा जीवो
पर्युषणना दिवसोमां